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सीहोर अस्पताल कांड-3: लगता चुल्लु भर पानी ही काफी है !

राज्य            Jan 21, 2017


राजेश शर्मा।

मानवीय संवेदनाएं जब दम तौड़ती है तो उनके परिणाम कितने दु:खदायी आते हैं इस बात को लेकर जब-जब उदाहरण प्रस्तुत करने को कहा जाएगा,तब-तब शर्म से शीश झुकाकर सीहोर के नाम का जिक्र भी जरुर किया जाएगा।क्योंकि शुक्रवार को इलाज के अभाव मे हुई मासूम की मौत सीहोर के भाल पर लगा वो बदनुमा दाग है जिसे धोने मे सालों लग जाएंगे।

संवेदना शून्य हो चुके सीहोर में अब इंसानियत बेभाव बिकने लगी है एक तरफ डाक्टर मूंह फुलाकर घरों मे बैठे है और दूसरी तरह सैकड़ों मरीज दर्द से कहरा रहे हैं। शुक्रवार को संग्रामपुर गांव निवासी कमल वर्मा अपने चार वर्षीय मासूम को इलाज के लिये जिला चिकित्सालय लाया और आधे घंटे बाद अपने बेटे की लाश लेकर लौट गया। कमल को किस बात की सजा मिली, खुद के किस्मत की या फिर इन लोगों के दुष्कर्मो की। मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन है ? ये मौत है या हत्या ? अगर मौत है तो इतनी 'सस्ती'! और हत्या है तो हत्यारा कौन ? जवाब दो रहनुमाओं . . .

कानून अब कहाँ गया ? कामयाबी के घोड़ों पर सरपट दौड़ने वालों ये क्यों भूल रहे हो कि मरी खाल से लोहा तक भस्म हो जाता है। तुम सड़क पर आपस में दंड पेल रहे हो और अस्पताल में मौत तांडव दिखा रही है। तुम्हारे जिदभरे धतकर्मो से इंसानियत के शर्म से झुके शीश को सज़दा कैसे कह दें। वर्तमान हालातों को देखते हुए सीवन नदी की ही आवाज़ सुन लो वो अस्पताल भवन से ज्यादा दूर नहीं है। वो कह रही है मेरे आँचल को सुखाकर चल्लूभर पानी मे क्यों . . .डूब . . .रहे हो।

स्वास्थ्य विभाग का शर्मनाक बयान आया कि बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी थी। हाँ ठीक भी है बचाव मे इसके अलावा उनके पास बोलने के लिए बचा भी क्या था। मौत हो या हत्या लेकिन सच यही है कि डाक्टर-नेता की लड़ाई ने एक मासूम की जिंदगी जरुर लील ली है।

और कितनी जिन्दगानियाँ इनके ज़िद की भेंट चड़ेगीं इस सवाल का जवाब तो फिलहाल सीहोर के लचर प्रशासन के पास भी नहीं है। सीहोर के नेता - डाक्टरों की लड़ाई राजधानी भोपाल तक पहुंच चुकी है वहाँ भी दोनो के शुभेच्छु मंत्री-वंत्रियों के बंगलों की खाक़ छान रहे हैं।नेता समर्थक कह रहे हैं डा.सुमन को ससपेंड करो, डाक्टर्स कह रहे है जसपाल अरोरा को गिरफ्तार करो। आखिर ऐसा कब तक चलेगा और यह मुद्दा कैसे सुलझेगा यह सबसे बड़ा सवाल है।

हकीकत तो ये है कि इनका ज्वर अब साधारण नहीं रह गया 'मलेरिया' मे तब्दील हो गया है जब तक कुनेन की कड़वी दवा इन दोनों के गले उतारी नहीं जाएगी इनका बुखार उतरने वाला नहीं है। राजेश शर्मा



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