उमरिया से सुरेंद्र त्रिपाठी।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले की कुदरी कोयला खदान को वहीं के किसानों ने बंद कर दिया। वे यहां 27 फरवरी से धरने पर बैठे हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि हमारी जमीन बंजर हो गई हमको नौकरी दे नहीं तो कोल माइंस को अनिश्चित काल के लिए रखेंगे बंद और उस पर भी हमारी मांग नहीं मानी गयी तो करेंगे आत्मदाह, कालरी प्रबंधन कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से किया मना।
उमरिया जिले में एस ई सी एल कोल माइंस के जोहिला एरिया अंतर्गत आने वाली नौरोजाबाद पश्चिमी कोयला खदान जिसको कुदरी कोयला खदान भी कहा जाता है। वहां कुदरी ग्राम के सभी किसानों की जमीन को 3 साल के लीज पर कोल माइंस प्रबंधन द्वारा लिया गया था उसके बदले में करार किया गया था कि आप लोगों को फसल की क्षतिपूर्ति दी जायेगी और 3 साल के बाद माइंस बंद कर दी जायेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ग्राम कुदरी के निवासी सोम नाथ सिंह भदौरिया ने बताया कि हम समस्त किसानों की जमीन सन 2007 में डिप्लेरिंग के लिए अधिग्रहीत किया गया था जिसमें प्रबन्धन के द्वारा 3 वर्ष का फसल नुकसान दिया गया था और प्रस्ताव यह था कि क्षतिग्रस्त जमीन के बदले हम समस्त किसानों को नौकरी दी जायेगी।
किसानों का आरोप है कि आज तक जो जमीन क्षतिग्रस्त हुई हम समस्त किसानों को कुछ भी नहीं मिला और हमारे द्वारा मांग किया जा रहा है कि हमारी क्षतिग्रस्त जमीन के बदले नौकरी प्रदान किया जाय, इसी के चलते हम लोगों द्वारा चका जाम किया गया है और माइंस बंद किया गया है, सन 2011 के बाद हमारी जमीनों में बड़े–बड़े गोफ, गड्ढे, दरार बना दिया गया है, जमीन उथल–पुथल कर दी गई है हर साल जमीन धंस रही है और प्रबंधन को सूचना दी जाती है लेकिन प्रबंधन हम लोगों के प्रति कोई सूचना जारी नहीं करता है। वहीं ग्राम कुदरी के ही निवासी राम प्रसाद पाल ने बताया कि हमारी जमीन को एस ई सी एल कोल माइंस ने 3 वर्ष का फसल नुकसान देकर उपयोग किया और हमारी जमीन को ध्वस्त कर दिया, अब हम कहाँ जाएँ हमारे लडके – बच्चे भूखों मरने के कगार पर हैं कोल माइंस वाले कहते हैं कि अब कुछ नहीं मिलेगा जो मिलने वाला था वह दे चुके हैं 27 फरवरी से हम लोग धरना – प्रदर्शन कर रहे हैं कोई सुनने वाला नहीं है अब जब तक हमारी नहीं सूनी जायेगी तब तक हम लोग यहाँ से नहीं हटेंगे।
वहीं इस धरने में गाँव की महिलायें, बच्चे, बूढ़े, पुरुष सभी शामिल हैं और इतना आक्रोशित हैं कि कोई भी हटने को तैयार नहीं हैं, गाँव की राधा सिंह का कहना है कि सुबह नौरोजाबाद पुलिस आई थी और कोल माइंस प्रबंधन के ईशारे पर हम लोगों को गाली देकर भगाने लगे कहे कि तुम लोग बैठे रहो कोई सुनने वाला नहीं हैं, अब कोल माइंस प्रबंधन नौकरी देने से मना करते हुए हमको कहता है कि हम पानी दे रहे हैं खेती करो, जबकि हमारी जमीन खराब हो गई जमीनों में दरारें पड गई, गोफ हो गया, जमीन धंस गई तो हम क्या धुल फांकें, अब तो हमारी नहीं सूनी गई तो हम लोग यहाँ आत्मदाह करेंगे।
इस मामले में जब एस ई सी एल कोल माइंस जोहिला एरिया के महा प्रबंधक ओपी कटारे से बात करने जाया गया तो मौखिक रूप से कहे कि इनको कुछ भी नहीं मिल सकता है और हमारे यहाँ कोई प्रावधान नहीं है। हमने अपने मुख्यालय और जिले के कलेक्टर, एस पी को सूचना पात्र के माध्यम से दे दिया है एक सिफ्ट में हमारा लगभग 50 लाख का निकसान हुआ है और किसानों ने अभी तक दो सिफ्ट बंद कर दिया है हम कैमरे के सामने कुछ भी नहीं बोल सकते हैं, हम अधिकृत नहीं हैं आपको जो भी पूंछना है हमारा पी आर ओ बिलासपुर छत्तीसगढ़ में है आप उससे बात कर लें और उठ कर चले गए।
हालाँकि कोल माइंस प्रबंधन हमेशा जमीन का दोहन किसानों को झांसा देकर कर लेता है और जिले के सभी अधिकारी, नेता किसानो के हित के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं और किसानों की हितैषी सरकार में किसानों को अपने हाल पर रोने को छोड़ देते हैं।
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