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मध्यप्रदेश सरकार से रूठे साधु-संत नराजगी जताने सड़क पर कर रहे तपस्या

राज्य            Feb 14, 2017


मल्हार मीडिया।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साधु—संत सरकार से नाराज होकर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन वे बीच सड़क पर तपस्या करके कर रहे हैं। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेशभर से आए संत व पुजारी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कमला पार्क स्थित हनुमान मंदिर के नागा बाबा आश्रम परिसर में जारी दो दिवसीय धरने के दौरान संतों व पुजारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रचार करने की चेतावनी दी है।

मप्र संत व पुजारी संयुक्त महासंघ के प्रमुख इंदौर के महामंडलेश्वर कम्प्यूटर बाबा व महंत मन मोहनदास राधे-राधे बाबा ने कहा है कि, उनकी मांगे नहीं मानीं, तो बड़ी संख्या में संत व पुजारी उत्तर प्रदेश जाएंगे, जहां उनके दल अलग-अलग स्थानों पर जाकर चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे।
महंत कंप्यूटर बाबा ने आरोप लगाया कि वे संतों व पुजारियों की वर्षों से लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कई बार मिल चुके हैं। हर बार सीएम आश्वासन देते रहे पर मांगे अब तक पूरी नहीं हुईं। मुख्यमंत्री को स्मरण कराने के लिए मंत्री रामपाल समेत अन्य मंत्रियों व कई वरिष्ठ नेताओं के माध्यम से चर्चा की पर सुनवाई नहीं हुई। धर्मस्व व संस्कृति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से भी बातचीत की पर वे भी आश्वासन देकर टालते रहे।

इंदौर के ही राधे-राधे बाबा ने बताया कि अब तक संतों व पुजारियों के अलग-अलग संगठन आंदोलन करते रहे हैं। अब हाल ही में संतों व पुजारियों का संयुक्त मोर्चा गठित किया गया है। इसके तत्वावधान में धरना आंदोलन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब वे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं कर देती। संतों के अनुसार सरकार ने बुधवार शाम तक मांगें नहीं मानीं, तो यहां से साधू व पुजारी वाहनों का काफिला तैयार कर रथ यात्रा के रूप में उत्तरप्रदेश जाएंगे।

ये हैं प्रमुख मांगें
मठ-मंदिरों का प्रबंधक कलेक्टर को हटाकर सरकारीकरण रोका जाए।
मठ-मंदिरों के संबंध में सरकार द्वारा लाए जा रहे विधेयक को निरस्त किया जाए।
मंदिरों की भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाए जाएं।
मंदिरों की कृषि भूमि की नीलामी पर स्थाई रूप से रोक लगाई जाए।
गौचर भूमि को मुक्त कराकर गौ शालाओं को दी जाए व गुरू-शिष्य परंपरा का ध्यान रखते हुए मंदिरों में पुजारी व उत्तराधिकारी के नामांतरण की नीति बनाई जाए।



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