करीला का सीता मंदिर जहां मन्नत पूरी होने पर कराते हैं राई

वामा            Mar 29, 2016


करीला से लौटकर अंकुर यादव। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के अंतर्गत आने वाले गांव करीला स्थित सीता मंदिर में रंगपंचमी पर मेला लगता हैं और बेड़नियों का राई नृत्य कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगो माता सीता उसे अवश्य पूरी करती हैं और मन्नत पूरी होने के बाद यहां राई नृत्य कराया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने जब सीता का परित्याग कर दिया था, तब वह करीला में ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में आकर रही थीं। इस दौरान गर्भवती सीता ने इसी आश्रम में लव-कुश को जन्म दिया था। लव-कुश के जन्म पर करीला में खुशियां मनाई गईं और अप्सराओं का नृत्य हुआ था। वह रंगपंचमी का दिन था। राई नृत्य का यह सिलसिला तभी से चला आ रहा है। karela-mela-rai-2 मान्यता यह भी है लवकुश के जन्म पर कुछ खास कार्यक्रम नहीं हुआ था इसलिए भी यहां राई बधाई मन्नत पूरी होने के बाद कराने की परंपरा है।,जिससे माता सीता प्रसन्न होती हैं। यह देश के इकलौता सीता मंदिर है जहां बेड़नियां राई नृत्य कर माता सीता को याद करती हैं। रंगपंचमी पर यहां राई बधाई देखने यहां देशभर से लाखों लोग आते हैं। जहां तक राई करवाने के लिये पैसों का सवाल है तो मन्नत के अनुसार दस रूपये से लेकर दस हजार तक की राई भी मन्नत पूरी होने पर लोग करवाते हैं। सम्भवत: यह देश का इकलौता मंदिर है जहां राम के बगैर सीता की प्रतिमा हैं। रंगपंचमी के दिन हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यहां पर बेड़नियां मुख्यत: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा की बेड़िया जाति की हजारों नृत्यांगनाएं यहां पहुंचकर खूब नाचती हैं। यहां के लोग कहते हैं यहां भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं। और संतान सुख भी मिलता है। मन्नतें पूरी होने पर लोग रंगपंचमी मेले में राई नृत्य कराते हैं।


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