मान्यता यह भी है लवकुश के जन्म पर कुछ खास कार्यक्रम नहीं हुआ था इसलिए भी यहां राई बधाई मन्नत पूरी होने के बाद कराने की परंपरा है।,जिससे माता सीता प्रसन्न होती हैं।
यह देश के इकलौता सीता मंदिर है जहां बेड़नियां राई नृत्य कर माता सीता को याद करती हैं। रंगपंचमी पर यहां राई बधाई देखने यहां देशभर से लाखों लोग आते हैं। जहां तक राई करवाने के लिये पैसों का सवाल है तो मन्नत के अनुसार दस रूपये से लेकर दस हजार तक की राई भी मन्नत पूरी होने पर लोग करवाते हैं।
सम्भवत: यह देश का इकलौता मंदिर है जहां राम के बगैर सीता की प्रतिमा हैं।
रंगपंचमी के दिन हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यहां पर बेड़नियां मुख्यत: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा की बेड़िया जाति की हजारों नृत्यांगनाएं यहां पहुंचकर खूब नाचती हैं। यहां के लोग कहते हैं यहां भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं। और संतान सुख भी मिलता है। मन्नतें पूरी होने पर लोग रंगपंचमी मेले में राई नृत्य कराते हैं।
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