दुष्कर्म पीढ़िता के साथ सेल्फी विवाद के बाद आयोग सदस्य का इस्तीफा
वामा
Jun 30, 2016
मल्हार मीडिया ब्यूरो।
राजस्थान राज्य महिला आयोग की एक सदस्य द्वारा दुष्कर्म पीड़िता के साथ खींची सेल्फी के बाद उपजे विवाद पर आयोग की अध्यक्ष ने सदस्य से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। हालांकि सदस्य सौम्या गुर्जर के साथ सेल्फी में आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा भी दिखाई दे रही हैं। सेल्फी मामले में उठे विवाद के बाद सौम्या ने गुरुवार शाम पद से इस्तीफा दे दिया।
बुधवार को जयपुर उत्तर के महिला पुलिस थाने में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा और सदस्य सौम्या गुर्जर दुष्कर्म पीड़िता से मिलने थाने गई थीं। उसी दौरान सेल्फी ली गई थी। दो सेल्फी में आयोग की सदस्य गुर्जर को सेल्फी लेते देखा जा सकता है। दोनो सेल्फी बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।
आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा ने बताया कि वह जब पीड़िता से बातचीत कर रही थीं, उसी दौरान आयोग की सदस्य ने इन सेल्फी को क्लिक किया। उन्होंने कहा, 'मुझे इस बारे में पता नहीं है। मैं ऐसे कार्यों का समर्थन नहीं करती इसलिये मैंने आयोग की सदस्य से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। सदस्य को गुरुवार तक इस पर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।'
गौरतलब है कि थाने में पुलिस अधिकारी के कमरे में आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा और सदस्य सौम्या गुर्जर सेल्फी में दिखाई दे रही हैं, और सेल्फी को उनके पास खड़े किसी अन्य ने लिया है।
उधर मामले में हंगामा होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे चुकी सौम्या गुर्जर ने कहा, 'हम उसको हमारे साथ फ्रेंडली कर रहे थे। जो उसके शरीर पर टैटू बने हुए थे उसको मैं रिकॉर्ड कर रही थी, तब उसने मुझसे पूछा ये क्या है। उसने कैमरा पहली बार देखा था, उसने मेरे से पूछा ये क्या है तो मैंने दिखाया कि इससे फोटो लिया जाता है। तो उसने कहा मेरा भी ले लो, फिर वो स्माइल दे रही है और अपने आप को फोटो में निहारने लगी, तो मैंने उसके साथ एक मानवतापूर्ण व्यवहार किया जिसे अमानवीय में बदल दिया गया।'
गौरतलब है कि दुष्कर्म पीड़िता ने दहेज के लिये 51,000 रुपये नहीं देने पर अपने पति और जेठ पर दुष्कर्म, अभद्र भाषा, उसके माथे और हाथ में अपशब्द गुदवाने का आरोप लगाया है।
इस बीच, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष डॉ. अर्चना शर्मा ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा एवं सदस्य सौम्या गुर्जर द्वारा आमेर दुष्कर्म पीड़िता के साथ सेल्फी खींची जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे महिला आयोग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह बताया है।
उन्होंने कहा कि महिला आयोग संवैधानिक संस्था है जिसके प्रतिनिधियों को न्याय दिलाने में पीडित महिलाओं की आवाज उठाते हुए सरकार को बाध्य करना चाहिए ना कि आयोग में उन्हें सरकार द्वारा दिये गये पदों के लिए सरकार के प्रति उपकृत महसूस करते हुए सरकारी प्रतिनिधि की तरह व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीड़िता का विवरण व उसका चित्र सार्वजनिक किया जाना संज्ञेय अपराध है, जिसके लिए आईपीसी की धारा 228-ए में दो वर्ष के कारावास का प्रावधान है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि महिला आयोग की अध्यक्ष एवं उसके सदस्यों को यदि यह मूलभूत जानकारी भी नहीं है तो इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला आयोग कितनी गंभीरता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है। उन्होंने कहा कि महिला आयोग की सदस्य द्वारा सेल्फी लिया जाना एक गंभीर प्रकरण का मजाक उड़ाने जैसा है, जिसे संज्ञान में लेकर उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
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