नितिन यादव।
सपना एक
उस किशोर हिरनी की आंखों में बसी थी शेर की भव्य छवि ,जिसमें एक अजीब कशिश थी जो उसे खींचती थी। उसे लगता था प्रेम का ऐसा भव्य और विराट स्वरूप ही वास्तविक प्रेम है । हिरण की सीधी-सादी छवि में वह सम्मोहन कहाँँ ? उत्तेजना तो भव्य, विराट और राजसी प्रेम में हैं । उसके सपनों का राजकुमार शेर ही होना चाहिए जो उसकी जिंदगी को रंगीन और चकाचौंध भरी कर दे । सामान्य हिरण कहां उसके सपनों को समझ पाएगा उसमें वह बात कहां ? उसके सपनों में वह और शेर प्रणय गीत गाते थे
सपना दो
उस समझदार हिरणी को पता था सत्ता का चरित्र फिर भी उसे शेर पसंद था। उसे पता था यदि वह शेर के हृदय में निवास करेगी तो पूरे जंगल की रानी होगी । उसे यह भी पता था शेर की अन्य रानियां /शेरनीयां है । उसे उन सबके बीच से ही अपना प्रेम तलाशना होगा । उसे बराबरी का प्रेम कभी नहीं मिलेगा लेकिन सभी हिरण उसे सलाम करेंगे और हिरणीयाँ उससे ईर्ष्या करेंगी ।उसके मरने पर भव्य स्मारक बनेगा और जंगल के इतिहास में उसका नाम होगा । इसलिए उस के सपनों में आकर शेर दहाड़ता था ।
सपना तीन
इस हिरणी को चाहिए एक सामान्य हिरण जो कुछ और ना होकर सिर्फ हिरण हो । जो उसे उसके होने का एहसास कराएं और बराबरी के धरातल पर रिश्ता निभाएं । जिसके वह अपना सुख दुख बांट सके । ना ही वह इतना विराट हो की आतंकित करें और ना ही इतना छोटा कि उसे अपने चयन पर शर्म आए । उसके मरने के बाद भले ही स्मारक ना बने और ना ही वह इतिहास में दर्ज हो लेकिन जब तक जिंदा रहे तब तक उस रिश्ते में सहजता और स्वाभाविकता बनी रहे । उसके सपनों में एक सामान्य हिरण दबे पांव आकर मुस्कुराता था ।
मुंशी प्रेमचंद की गोदान से
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