मल्हार मीडिया डेस्क
गुलजार, बेनेगल, हीरानी को छोड गजेंद्र चौहान को एफ़टीआईआई चेयरमैन बनाने का संस्थान के छ़ात्रों द्वारा कडा विरोध किया जा रहा है। पिछले दो दिनों से कोई क्लास नहीं हुई, छात्र हड़ताल पर हैं। पूरे कैम्पस में ‘गो बैक’ (चले जाओ) के पोस्टर लगे हैं और संतोष सिवन और जाहनु बरुआ जैसे जाने माने फ़िल्मकारों ने भी छात्रों की मांगों का समर्थन किया है। संस्था के संचालक डीजे नारायण के कार्यालय के सामने कई छात्र गद्दे बिछाकर बैठे हैं।
देश की जान-मानी संस्था भारतीय फिल्म एवं टेलिविजन संस्थान (एफ़टीआईआई) में छात्र आंदोलन कर रहे हैं। छात्र 'महाभारत' सीरियल में युधिष्ठिर का क़िरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान को संस्था को चेयरमैन बनाने का विरोध कर रहे हैं।चौहान दो दशकों से भाजपा से जुड़े रहे हैं और इसलिए इसे राजनीतिक नियुक्ति के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि चेयरमैन पद के लिए गुलज़ार, राजकुमार हिरानी और श्याम बेनेगल जैसों नाम चर्चा में थे।
एफ़टीआईआई के छात्र संगठन के अध्यक्ष हरिशंकर नचिमुथु के अनुसार, "पिछली बार कांग्रेस की सरकार थी, तब भी हमने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की थी। इसलिए ऐसा नहीं है कि हम केवल भाजपा सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हैं । वो कहते हैं, "माना कि चौहान सरकार के आदमी हैं। अगर उनके स्थान पर किसी और की नियुक्ति होगी तब भी वह व्यक्ति सरकार का ही होगा। यहां मुद्दा क्षमताओं का है। इस तरह की उच्च शिक्षा वाली संस्था में राजनीति से जुड़े व्यक्ति की नियुक्ति होनी ही नहीं चाहिए।
हरिशंकर का तर्क है, "सरकार के सामने इतने लोगों का नाम थे तो फिर गजेंद्र चौहान का ही नाम क्यों चुना? हम निजी रूप से चौहान के ख़िलाफ़ नहीं हैं और हमारी यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है। इस संस्था की एक संस्कृति है और उसकी समझ रखनेवाला व्यक्ति चाहिए।
उनका कहना है,यह व्यावसायिक कौशल सिखाने वाली संस्था नहीं है, बल्कि कला की संस्था है। हमे तो इसे आगे ले जाने वाला व्यक्ति चाहिए। वो कहते हैं कि सेंसर बोर्ड या एनएफ़डीसी की तरह एफ़टीआईआई के छात्र चुपचाप नहीं बैठेंगे।
सिनेमाटोग्राफ़ी के अंतिम वर्ष के छात्र विकास अर्स के अनुसार, "एफ़टीआईआई संस्था फिल्म की शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए है। चौहान जैसे व्यक्ति की नियुक्ति, जिसका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है, संस्था के भविष्य से खिलवाड़ करने जैसा है. इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं।
डीजे नारायण का कहना है, "मैं छात्रों को शांती से समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि यह नियुक्ति सरकारी व्यवस्था के अनुसार हुई है।
नचिमुथु के अनुसार, "हमने अपनी मांगें सामने रखी हैं। अब सरकार कुछ विकल्प लेकर आती है तो हम बात कर सकते हैं। आज तक यह संस्था सरकारी हस्तक्षेप से दूर रही है और हम चाहते हैं कि आगे भी यह स्वायत्तता कायम रहे।
बरुआ ने कहा है कि चौहान की नियुक्ति चिंता का विषय है। पूर्व छात्र की हैसियत से वो चाहते हैं कि संस्था का नेतृत्व कोई दिग्गज करें।
इस बीच गजेंद्र चौहान ने कहा है कि वो छात्रों से बात करना चाहते हैं। उनका कहना है कि उनकी नियुक्ति उनकी क्षमता के कारण हुई है और वो संस्था की भलाई के लिए ही काम करेंगे।
बीबीसी से साभार
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