जननी माँ है, मौत है व्यापमं
वीथिका
Jul 05, 2015
धीरज चतुर्वेदी
व्यापमं घोटाले में हो रही मौतों ने हर इंसान के मन—मस्तिष्क को झिंझोडा है। मल्हार मीडिया में प्रकाशित व्यापमं की खबर पर पाठक धीरज चतुर्वेदी की कविता पर एक नजर आप भी डालें,जिसमें सत्य प्रतिध्वनित होता है
जननी माँ है, मौत है व्यापमं
असमय मौत का स्रोत है व्यापमं।
ग़म है व्यापम, तम है व्यापमं,
शिवराज का परचम है व्यापमं।
आगम सृष्टि तो निर्गम है व्यापमं,
बड़ा ही कठोर व निर्मम है व्यापमं।
असमय हर पल हर दम व्यापमं,
भाजपा के वीरों का दमख़म व्यापमं।
मोदी का हट दंभ और दम है व्यापमं,
माँ बहनों की आँखो का नम है व्यापमं।
रोज मौतों की दास्तान है व्यापमं,
प्रदेश का नया क़ब्रिस्तान है व्यापमं।
मौत है, कफन है, अर्थी है व्यापमं,
जलियाँवाला के समानार्थी है व्यापमं।
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