टेंशन का योग
वीथिका
Jun 16, 2015
संजय जोशी सजग
मनुष्य प्राणी मात्र के चारों ओर टेंशन के भूतो का डेरा लगा हुआ है सही भी है सभी टेंशन में मग्न रहते है और एक दूसरे को टेंशन में देखकर सुख की अनुभूति करते है अगर गलती से अपनी ख़ुशी का इजहार कर भी दिया तो आपकी ख़ुशी को दमन करने का षड्यंत्र रच दिया जाता है वे अपने ही होते है जो टेंशन के इतने आदि है कि न खुश रहेगे और न दूसरो को रहने देगे यह सब आदत बन चुकी है दिल है की मानता ही नही ..बिना टेंशन के ।
अपुन तो सामजिक प्राणी होने के नाते अपना फर्ज अदा कर मिलने वालो के हाल चाल यदा-कदा पूछ लेते है हमेशा की तरह यही सुनने को मिलता है बहुत टेंशन में हूँ क्या करे ,यह सब राजनीतिक, सामजिक ,राष्ट्रीय ,अंतर्राष्ट्रीय समस्या की चिंता करने की मानसिकता जो बन गई है ।
टेंशन आजकल चर्चा का मुख्य विषय बनता जा रहा है इसके बिना न कोई चर्चा शुरू होती है न खत्म । यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गई है इसकी की न कोई सीमा ,न कोई आकार बस टेंशन तो टेंशन है । कंप्यूटर , इंटरनेट .और मोबाईल के विस्तार ने जहाँ दुनिया को छोटा किया वहीं टेंशन को बहुत बड़ा कर दिया ।
हमारी कालोनी में तथाकथित बुद्दिजीवियों की भरमार है यहाँ सब टेंशन लेने और टेंशन देने में पारंगत हैं ,एक महाशय से मैंने पूछ लिया कि भाई सा क्या हाल—चाल है वह तुनककर बोले बहुत टेंशन है और क्या होगा कलियुग में , मैंने सहज होकर कहा कि क्यों टेंशन लेते हो क्या होगा इससे? अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिये इस पर गम्भीर होकर बोले की रोज यही सोच कर सोता हूँ कि कल से टेंशन बिलकुल नही पालूंगा पर वह सुनहरा कल कब आएगा पता नहीं ..सुबह उठते ही कमबख्त न्यूज़ चेनल और अखबार फिर टेंशन में धकेल देते हैं।उनका भी क्या दोष है देश में हत्या, अपहरण ,बलात्कार , भ्रष्टाचार,रिश्वत , दुर्घटना ,पेट्रोल व डीजल के भाव, महगाई,रूपये व शेयर का गिरना और आजकल यौन उत्पीडन के बढ़ते मामले जीवन को सुकून नही टेंशन ही देते हैं। समाज में उच्च स्थान रखने वाले ..नेता, संत और पत्रकार लोग ऐसा करेंगे तो आम जन का टेंशन बढना लाजमी है हमारे शरीर में कोई सेफ्टी वाल नही है ..जो ..प्रेशर कुकर की तरह ...ज्यादा प्रेशर होने पर अपना काम करता है और दुर्घटना नही होती। मनुष्य नाम के प्राणी तो ईश्वर को प्यारे हो जाते हैं।
पहले के जमाने में बीमार होने के बाद अस्पताल जाया करते थे आजकल बीमारी के पहले ही प्री.मेडिकल चेकअप..कराना पड़ता है अब रिवाज बन चुका है। जो न कराये वह आधुनिक नहीं कहलाता ..यह सब टेंशन का कमाल है आधुनिक जीवन शैली में हम
चारो तरफ से मशीनों से घिरे है अपने हाथ -पाँव हिलना भी बंद होगये है और शरीर जाम सा हो गया है जिसका आलम तनाव । फास्ट फ़ूड खाकर जीरो फिगर के लिए संघर्ष करना हमारी प्रवृति और इससे निवृति टेंशन देता है।
आजकल राजनीति में कुछ ज्यदा ही टेंशन चल रहे है कोई "आप" की जीत से विचलित है, तो कोई काग्रेस की हार से तो कोई दिल्ली में सरकार न बनने से मिडिया वाले का बस चलता तो ..शपथ ..करा चुके होते क्या करे बेचारे ..चीख -चीख कर ही खुश है और कर भी क्या सकते हैं आप ने इतना टेंशन दे दिया है। अच्छे -अच्छों की नींद व होश उड़ा रखे हैं राजनीति के शुद्धिकरण का प्रयास जारी है कितना सफल होगा यह तो वक्त बतायेगा ।
मानसिक शांति हेतु ध्यान योग ,प्राणायम के कई बिजनेस चल रहे हैं फिर भी ढाक के तीन पात। टेंशन के इस भूत ने एक नयी भावनात्मक बीमारी को जन्म दिया वह है 'मूड"खराब है कोई टेंशन में है इसलिए मूड खराब है । और कुछ मूड खराब है इसलिए टेंशन में है यह माजरा रिसर्च का हो गया है और जिनको ये दोनों मे से कुछ भी महसूस नहीं होता लोग उसे आगरा की याद दिला देते है तुम उसके लायक हो आपको कुछ भी नहीं होता..याने मानसिक समस्या से ग्रसित लगते हो और उसे भी टेंशन देकर अपना पुनीत कर्तव्य करने से बाज नहीं आते टेशन युक्त समाज के निर्माण में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। ऐसे समाजिक प्राणी बहुतायत में पाये जाते हैं। उनका एक ही सपना सब पालो टेंशन अपना ..बिना टेंशन के जीने में कोई जीना है ।
मानवता पर टेंशन या टेंशन पर मानवत हावी है । टेंशन, कहीं भी, कभी भी किसे भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है और भूत सवार हो जाता है । हमारे जीवन रोज रोज नये-नये
टेंशन का योग बन रहा है ।
Comments