मल्हार मीडिया ब्यूरो।
वित्तीय संकट के दौरान वित्तीय सेवा प्रदाताओं के ग्राहकों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी, जो दिवालियापन से निपटने के लिए वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के लिए एक कार्ययोजना प्रस्ताव निर्धारित करेगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 को पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।"
बयान में कहा गया है, "यह विधेयक वित्तीय क्षेत्र के लिए एक कार्ययोजना प्रस्ताव उपलब्ध कराएगा और यह दिवालियापन और दिवालियापन संहिता, 2016 का पूरक होगा। यह विधेयक लागू होने के बाद संहिता के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यापक समाधान तंत्र प्रदान करेगा।"
बयान में कहा गया है कि इस विधेयक का लक्ष्य वित्तीय संकट की स्थिति में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के बीच अनुशासन पैदा करना है, ताकि संकट की शिकार कंपनियों को बचाने के लिए सार्वजनिक धन का सीमित उपयोग हो।
इसके अलावा इस विधेयक का उद्देश्य परेशानी में फंसी वित्तीय संस्थाओं को उबारने में समय और लागत घटाना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 के पेश किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक समाधान से जुड़े प्रावधान उपलब्ध होंगे।
वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 के लागू होने पर एक समाधान निगम की स्थापना हेतु मार्ग प्रशस्त होगा। इससे इस विधेयक की अनुसूचियों में सूचीबद्ध क्षेत्रवार अधिनियम के समाधान संबंधी प्रावधानों को समाप्त करने अथवा संशोधित करने में मदद मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप जमा राशि बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961 को समाप्त करने से लेकर जमा राशि बीमा अधिकारों के स्थानांतरण और समाधान निगम के प्रति उत्तरदायित्व कायम करना भी संभव होगा।
समाधान निगम वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व और दृढ़ता का संरक्षण करेगा और एक तर्कसंगत सीमा तक बाध्यताओं के दायरे में उपभोक्ताओं का संरक्षण करेगा तथा एक संभव सीमा तक लोगों के धन का भी संरक्षण करेगा।
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