मल्हार मीडिया ब्यूरो।
खाद्य पदार्थो और ईधन की कीमतों में खासतौर से प्याज और डीजल की कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी से देश की थोक मुद्रास्फीति बढ़कर नवंबर में 3.93 फीसदी पर रही। आधिकारिक आंकड़ों से गुरुवार को यह जानकारी मिली। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा आंकड़ों के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) नवंबर में बढ़कर 3.93 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि अक्टूबर में यह 3.59 फीसदी पर थी और साल 2016 के नवंबर में यह 1.82 फीसदी पर रही थी।
इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते भारतीय कारोबारी जगत ने कहा कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी मुख्य रूप से सब्जियों, प्याज, अंडो, मांस-मछली, खनिजों, पेट्रोल और हाई स्पीड डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है, जिसका कारण उत्पादन में कमी है।
अनुक्रमिक आधार पर, प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों में 5.28 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो अक्टूबर में 3.33 फीसदी थी। डब्ल्यूपीआई में प्राथमिक वस्तुओं का भार 22.62 फीसदी है।
खाद्य पदार्थो की कीमतों में नवंबर में 6.06 फीसदी की वृद्धि रही, जबकि अक्टूबर में यह 4.30 फीसदी पर थी।
खाद्य पदार्थो के संदर्भ में, प्याज की महंगाई दर साल-दर-साल आधार पर बढ़कर 178.19 फीसदी, जबकि आलू की कीमत में (-)40.73 फीसदी की गिरावट रही।
कुल मिलाकर सब्जियों की कीमतों में नवंबर में 59.80 फीसदी की वृद्धि रही, जबकि एक साल पहले समान माह में इनमें (-)17.31 फीसदी की गिरावट रही थी।
थोक महंगाई में वृद्धि पर चिंता जाहिर करते हुए उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, "पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने का मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम में हुई बढ़ोतरी है। नीति निर्माताओं द्वारा इस पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इससे आयात बिल पर असर पड़ सकता है, जिससे मुद्रा की विनिमय दर प्रभावित हो सकती है।"
उन्होंने कहा, "इसका उद्योग के इनपुट कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जो पहले से मुनाफे पर दवाब महसूस कर रही है।"
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