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कारर्पोरेट गवर्नेंस पर उठ रहे सवालों को सिक्का ने बताया बेबुनियाद,मूर्ति बोले मुद्दों को सुलझाने में कंपनी सक्षम

बिजनस            Feb 13, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

इंफोसिस के संस्थापक और पूर्व चेयरमैन नारायण मूर्ति ने बोर्ड के खिलाफ जारी जंग के बीच कहा है कि कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दों को सुलझाने के लिए कंपनी सक्षम है। वहीं इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने मीडिया में कंपनी के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर उठ रहे सवालों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनका फाउन्डर नारायण मूर्ति से बेहद अच्छा रिश्ता है। बहरहाल, मूर्ति ने यह साफ किया है कि इंफोसिस बोर्ड के सामने सैलरी का मुद्दा अभी बरकरार है और उसे इसपर उचित फैसला लेने की जरुरत है।

मूर्ती समेत इंफोसिस के अन्य फाउंडर्स ने सवाल उठाया था कि एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी में गवर्नेंस के कई मुद्दे कंपनी के हित में नहीं है। इसमें कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का की सैलरी में हुए इजाफे समेत कंपनी के दो टॉप लेवल अधिकारियों को कंपनी छोड़ते वक्त दिया गया हर्जाना उचित नहीं है। लिहाजा सिक्का और अन्य अधिकारियों को मिल रही सैलरी और दिए गए हर्जाने पर फाउंडर्स की तरफ से मूर्ति के नेतृत्व में बोर्ड के सामने सवाल खड़ा किया गया था।

इंफोसिस के मौजूदा बोर्ड और फाउंडर्स में यह विवाद ऐसे वक्त में देखने को मिल रहा है जब देश का पूरा सॉफ्टवेयर सर्विस सेक्टर मंदी के संकेत दे रहा है। वहीं अमेरिका में इमीग्रेशन नीति में संभावित बदलाव के खतरे देश की आईटी कंपनियों के सामने है। जानकारों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से यदि भारतीय कंपनियां अमेरिका में पर्याप्त वर्कर्स नहीं भेज पाती तो वहां सर्विस देना भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा चुनौती बन जाएगी। वहीं सिक्का के कार्यकाल में इंफोसिस ने कंपनी की निर्भरता ऑटोमेशन और आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस पर बढ़ा दी है क्योंकि उसे क्लाइंट द्वारा खर्चों में कमी की उम्मीद है।


इससे पहले फाउंडर्स और कंपनी बोर्ड के विवाद को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को इंफोसिस ने कहा था कि उसने नारायण मूर्ति और अन्य फाउंडर्स से संवाद के लिए लॉ फर्म की सेवाएं ली है जिससे फाउंडर्स और कंपनी के बीच सभी संवाद पूरी पारदर्शिता के साथ सामने रखे जा सकें। बहरहाल, अब मूर्ति के ताजा बयान से साफ है कि उन्होंने बोर्ड और फाउंडर्स के बीच मची जंग को शांत करने की कवायद कर दी है।

गौरतलब है कि इंफोसिस के इस विवाद की जड़ में पूर्व चीफ फाइनेंनशियल ऑफिसर राजीव बंसल को दिया गया हर्जाना भत्ता है। बंसल को कंपनी ने 24 महीने की सैलरी कंपनी छोड़ते वक्त दी थी। इस रकम पर सेबी ने सवाल उठाया था जिसके बाद नारायण मूर्ति समेत अन्य फाउंडर्स ने विशाल सिक्का समेत कुछ शीर्ष अधिकारियों को कंपनी से मिल रही सैलरी और हर्जाने पर सवाल खड़ा कर इंफोसिस बोर्ड के सामने सवाल खड़ा कर दिया था।

 



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