मल्हार मीडिया ब्यूरो।
संसद की लोक लेखा समिति यानि कि PAC नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तलब कर सकती है। इससे पहले संसदीय समिति ने भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को 20 जनवरी 2017 को समिति के समक्ष पेश होकर यह साफ करने को कहा है कि नोटबंदी का फैसला कैसे लिया गया और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा। इस संबंध में उर्जित पटेल को 10 सवाल भेजे गए हैं, जिनके ज़रिए फैसला लेने में रिज़र्व बैंक की भूमिका, अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव और आरबीआई गवर्नर के रेगुलेशंस में पिछले दो महीनों में आए बदलाव पर जानकारी मांगी गई हैं। उर्जित पटेल के साथ-साथ इस बैठक में वित्त सचिव अशोक लवासा और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास उपस्थित रहेंगे।
अगर PAC को इस बैठक में संतोषजनक जवाब नहीं मिलते हैं तो ये समिति पीएम मोदी को तलब कर सकती है। इस समिति के चैयरमैन और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.वी. थॉमस ने कहा कि फिलहाल हमें भेजे गए सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। वे 20 जनवरी को होने वाली बैठक से पहले जवाब देंगे। कमेटी के पास इस मामले में किसी को भी बुलाने का अधिकार है। और अगर 20 जनवरी को हुई बैठक में कोई नतीजा न निकला तो प्रधानमंत्री को भी बुलाया जा सकता है।
पब्लिक अकाउंट समिति ने पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय से नोटबंदी के फैसले पर सवाल पूछे थे। समिति ने रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को इन सवालों का जवाब देने के लिए 20 जनवरी तक का समय दिया है।
पीएसी ने 20 जनवरी को इन सवालों के जवाब के साथ गवर्नर उर्जित पटेल, वित्त सचिव अशोक लवासा और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास को तलब किया है। पीएसी के चेयरमैन और वरिष्ठ कांग्रेस नेता केवी थॉमस ने कहा कि यदि रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से सभी सवालों के जवाब नहीं मिले तो अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए समिति प्रधानमंत्री को तलब कर सकती है। थॉमस ने कहा कि प्रधानमंत्री को समिति के सामने बुलाने का फैसला सभी सदस्यों को सर्वसम्मति से किया जाएगा।
गौरतलब है कि पब्लिक अकाउंट समिति के अध्यक्ष के नाते नोचबंदी के मुद्दे पर थॉमस ने प्रधानमंत्री से नवंबर में मुलाकात की थी। इस मुलाकात में प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया था कि 8 नवंबर को लिए गए फैसले के बाद 50 दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे।
समिति के अध्यक्ष के मुताबिक प्रधानमंत्री अपने 50 दिन में स्थिति को सामान्य करने के वादे पर खरे नहीं उतरे हैं जिससे पूरे फैसले पर सवाल उठ रहा है। थॉमस का मानना है कि केन्द्र सरकार ने अधूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का फैसला लिया था जिससे अर्थव्यवस्था पर गंभीर परिणाम देखने को मिल रहा है। थॉमस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अब वह अपने गलत फैसले को सही ठहराने की कवायद में लगी हुई है।
नोटबंदी के मुद्दे पर यदि समिति प्रधानमंत्री को सफाई देने के लिए बुलाती है तो ये 5 सवाल पूछे जा सकते हैं-
1. इस फैसले में कौन-कौन शामिल था?
2. नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंकों में कितना पैसा जमा हो चुका?
3. क्या आम आदमी को अपने बैंक से अपना पैसा निकालने से रोकने के लिए कोई कानून है?
4. नोटबंदी के फैसले के बाद कितना पैसा वापस अर्थव्यवस्था में संचार किया जा चुका है?
5. कालेधन के मुद्दे पर नोटबंदी कितना सफल रहा और आमआदमी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर फैसले का क्या असर पड़ा।
नोटबंदी के फैसले पर गंभीर टिप्पणी करते हुए समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि जिस देश में कॉल ड्राप एक गंभीर समस्या है वहां सरकार कैसे पूरे देश को कैशलेस व्यवस्था पर ले जा सकती है। गौरतलब है कि पब्लिक अकाउंट समिति देश में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट की समीक्षा करता है और जरूरी मामलों में टिप्पणी कर सकता है।
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