ओम थानवी संपादक, जनसत्ता
किरण बेदी का भाजपा में शामिल होना दोनों के लिए ही फ़ायदेमंद है.किरण बेदी को एक ठिकाना मिल गया है और भाजपा को ऐसा उम्मीदवार मिल गया है जिसका नाम है,...
राजेश प्रियदर्शी
भारत वो सभ्यता है जहाँ लोग शाम ढले पत्तियाँ नहीं तोड़ते और यहीं विधवा को ज़िंदा जलाने में भी नहीं हिचकते. भारतीय सभ्यता महान नहीं, विराट है, जो पुरानी और परतदार है, जिसमें...
अजित साही वरिष्ठ पत्रकार
भारत का भूमि अधिग्रहण क़ानून क़रीब सवा सौ साल पुराना है, जिसके आधार पर विभिन्न विकास योजनाओं, उद्योगों के लिए ज़मीन का अधिग्रहण किया जाता रहा.सालों के विरोध के बाद यूपीए...
अयोध्या से कामिनी शाही
आधुनिकता की चकाचौंध में खोए किशोरों में आपराधिक मनोवृत्ति बढ़ रही है। कम उम्र में अधिक पाने की चाहत में वे ऐसे कारनामों को अंजाम दे रहे हैं जिससे कोई भी...
चैतन्य नागर
एक स्तर पर पीके बड़ी ही प्रतीकात्मक फिल्म है। सैमुएल टेलर कॉलरिज मानता था कि कपड़े झूठी सभ्यता का प्रतीक हैं। रूढ़ियों, परम्पराओं, अंधविश्वासों के रूप में हमने उन्हें धारण किया हुआ है।...
कृष्णदेव तुम तो बार-बार आते थे मेरे पास। मेरे आंगन पर रीझ गए थे। मंदिरों की घंटियों-घड़ियालों की मधुरिम ध्वनि, वेद ऋचाओं की गूंजती वाणी, सरयू की मचलती लहरे, तुम तो सब पर मोहित थे।...