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वीथिका

राकेश कायस्थ। अस्सी के दशक के आखिरी साल थे। बहुत लंबे हाँ-ना के बाद हमारे यहां टीवी लाया गया था। लेकिन जल्द ही पिताजी ने महसूस किया कि टीवी देखने की...
Dec 04, 2021

राकेश दीवान।‘भाईजी’ यानि सलेम नानजुंदैया सुब्बराव यानि एसएन सुब्बराव को याद करूं तो करीब पचास साल पहले, विनोबा की मौजूदगी में अल-सुबह सुना कबीर का ‘झीनी रे चदरिया’ भजन याद आता है। उन दिनों (1974...
Nov 08, 2021

हेमंत कुमार झा।बचपन में एक बार यह जान कर मैं अचंभित रह गया था कि ब्राह्मणों की कोई एक उपजाति होती है जिसका काम है आयुर्वेद पढ़ना और वैद्य बन कर लोगों का इलाज...
Aug 29, 2021

संजय स्वतंत्र।श्रीकृष्ण को जब भी याद कीजिए राधा जी दौड़ी-दौड़ी चली आएंगी। दोनों के बीच आज भी गहरा प्रेम है। यह शाश्वत है। हम कृष्ण से पहले राधा का ही नाम लेते हैं।...
Aug 29, 2021

श्याम त्यागी।24 मार्च, 1931 के दिन या भगत सिंह को फांसी दिए जाने की अगली सुबह गांधी जैसे ही कराची (आज का पाकिस्तान) के पास मालीर स्टेशन पर पहुंचे, तो लाल कुर्तीधारी नौजवान भारत सभा...
Oct 02, 2019

श्याम त्यागी।भगत सिंह और गांधी दोनों के रास्ते अलग थे लेकिन इरादा सिर्फ एक था, भारत की आज़ादी। देशवासियों पर जिस तरह का शोषण हो रहा था उस शोषण से लोगों को मुक्ति दिलाना। आज़ादी...
Oct 02, 2019

प्रकाश भटनागर।यह श्रद्धांजलि और इसमें जुड़े तारीफ वाले शब्द इसलिए नहीं कि किसी का निधन हो गया है। ऐसा इसलिए कि निधन बाबूलाल गौर का हुआ है। दिवंगतों के सम्मान में लिखना तथा बोलना...
Aug 21, 2019

तरूण व्यास। हिमांशु बाजपई की दास्तानगोई की तारीफ़ें ही सुनी थी और थोड़ा बहुत यूट्यूब पर देखा था। शनिवार की शाम इंदौर के आनंद मोहन माथुर सभागृह में हिमांशु भाई की दास्तानगोई को लाइव सुनने...
Aug 19, 2019

संजय स्वतंत्र।किसी जमाने में घर की चक्की उदास रहती थी। अब रसोई ऊंघती रहती है। न कोई मसाला कूटता है, न कोई चटनी बनाने का जतन करता है। अब झटपट का जमाना है। इसलिए...
Aug 14, 2019

विजयदत्त श्रीधर। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच विभक्त बुन्देलखण्ड का इकजाई स्वरूप जब भारत के नक्शे में निहारते हैं, तब ऐसा प्रतीत होता है, जैसे राष्ट्र की नस-नाड़ियों को पुष्ट करता हुआ, हृदय धड़क...
Aug 02, 2019