रायपुर से अनिरूद्ध दुबे।
कुछ ऐसे भी किस्से होते हैं जो जुड़े तो अपराध की दुनिया से होते हैं लेकिन उन्हें पढ़ने या सुनने में काफ़ी मज़ा आता है।
जब थानों में चूहे अपराध व अपराधी से जुड़े साक्ष्यों को प्रभावित करने लग जाएं तो इसे क्या कहियेगा?
सुनने में तब और ज़्यादा मज़ेदार लगता है जब यह पता चले कि चूहे गांजे और शराब के भी शौकीन होते हैं।
मामला कुम्हारी एवं नंदिनी थाने का है, इन दोनों थाने के मालखाने में जब्त गांजे रखे हुए थे।
कुछ दिनों पहले कोर्ट में दोनों थानों की ओर से लिखकर दिया गया कि गांजे के सैंपल के पैकेट जो जब्त करके रखे गए थे उन्हें चूहों ने कुतर दिया।
ये तो रही गांजे की बात।
बरसों पहले रायपुर रेल्वे पुलिस थाने से एक दिलचस्प जानकारी निकलकर सामने आई थी। रेल्वे पुलिस व्दारा किसी मामले में जब्त की गई शराब थाने के मालखाने में लाकर रखी गई थी।
एक लंबे अंतराल के बाद जब पुलिस स्टाफ मालखाने में घुसा तो पाया कि कुछ बोतलों में शराब काफ़ी कम मात्रा में नज़र आ रही है।
जब उन्हें उठाकर देखा तो मालूम हुआ कि बोतलों की सील नहीं टूटी है लेकिन ढक्कन में ऊपर से छेद है। अब माथापच्ची इस बात को लेकर होती रही कि यह हुआ तो कैसे हुआ?
वहां का एक पुलिस कर्मी ग़हरी समझ रखता था, उसने सस्पेंस पर से पर्दा उठा दिया।
उसने कहा कि “दरअसल यह चूहों का काम है।
थाने को अपना अड्डा बना चुके ये चूहे शराब के शौकीन हो गए हैं, इन्हें शराब की गंध जब लुभाने लगी तो ढक्कन को कुतरने में इन्होंने कोई कोताही नहीं की।
ढक्कन में जब छेद हो गया तो ये अपनी लंबी पूंछ को बोतल के भीतर डूबो-डूबोकर निकालते रहे होंगे। जब पूंछ बाहर आती फिर उसे ये चाटते रहे होंगे।“
बाक़ी पुलिस वालों ने अपने इस साथी की बात का लोहा मान लिया था।
फिर कुछ नाइट ड्यूटी वालों ने कमेन्ट्स भी किया कि “तभी ये चूहे रात को नशे में हमारी टेबल कुर्सी के पास आकर बिना डरे उछल-कूद मचाया करते थे।“
यानी दो घूंट भीतर जाते ही ये चूहे पुलिस वालों के सामने शेर हो जाते थे।
लेखक छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार हैंं।
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