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आगस्टा वेस्टलेंड को मोदी सरकार ने ब्लेकलिस्टेड नहीं ​किया, मेकइन​इंडिया में शामिल कर लिया?

खरी-खरी            Apr 29, 2016


ved-pratap-vaidikडॉ.वेद प्रताप वैदिक। आगस्टा-वेस्टलेंड कंपनी के 12 हेलिकाप्टरों के सौदे पर अब इतना कीचड़ उछल रहा है कि हमारे सत्तारुढ़ और विरोधी- सभी नेताओं के चेहरे पर कालिख पुत गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर टूट पड़े हैं। मनमोहनसिंह-सोनिया सरकार के लिए यह शर्म की बात थी कि उसके राज में 350 करोड़ रु. की रिश्वत खाई गई लेकिन कुछ हद तक उसकी इज्जत इस बात से ढकी रह गई कि उसने वह सौदा रद्द कर दिया और भारत के 2068 करोड़ रु. उस इतालवी कंपनी से वापस धरा लिये। उसके तीन हेलिकाप्टर भी जब्त कर लिये। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है कि उसके रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दावा किया है कि आगस्टा वेस्टलैंड कंपनी को अभी तक ‘काली सूची’ में नहीं डाला गया है। कांग्रेस के पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी का कहना है कि हमें जैसे ही रिश्वतखोरी की भनक लगी, हमने सौदा रद्द कर दिया और उस कंपनी के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई शुरु कर दी। अब यहां प्रश्न यह उठता है कि मोदी सरकार दो साल तक क्या करती रही? उसने उस कंपनी को ‘काली सूची’ में डालना तो दूर रहा, उसे अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में शामिल कर लिया। उसे टाटा के साथ मिलकर भारत में पूंजी लगाने की अनुमति क्यों दी गई? उसे अप्रैल 2015 में 100 हेलिकाप्टरों को बेचने की पहल क्यों करने दी गई? कांग्रेस प्रवक्ता ने यह आरोप भी लगाया है कि हमारे पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उसी विवेकानंद फाउंडेशन में सक्रिय हैं, जिससे अजित दोभाल और नृपेंद्र मिश्र आए हैं। ये दोनों अफसर ही मोदी सरकार को चला रहे हैं। यदि ये आरोप सत्य हैं तो फिर यह समझने में देर नहीं लगनी चाहिए कि रिश्वतखोरी में फंसे एयर मार्शल त्यागी समेत 12 अन्य लोग भी अभी तक क्यों मौज मार रहे हैं? इन विदेशी कंपनियों के दो बड़े अफसरों को चार-चार साल की जेल हो गई है याने रिश्वत देने वाले फंस गए हैं लेकिन रिश्वत लेनेवाले गुलछर्रे उड़ा रहे हैं। किसी भी ईमानदार प्रधानमंत्री या सरकार के लिए यह डूब मरने वाली बात है। सीबीआई क्या करे? वह नेताओं के इशारों पर नाचती है और हमारे नेता नौकरशाहों के हाथ के खिलौने हैं। नेता बदलते रहते हैं लेकिन नौकरशाह जमे रहते हैं। चार साल पहले भी उनकी चलती थी और अब दो साल से भी उन्हीं की चल रही है। हमारे देश में जैसे लचर-पचर सत्तारुढ़ नेता हैं, वैसे ही विपक्षी नेता हैं। यदि आज डा. लोहिया संसद में होते तो वे कांग्रेस और भाजपा, दोनों को राष्ट्रीय शर्म की सरकारें घोषित करते। नया इंडिया से साभार।


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