आप उस महिला के साथ तो विश्वाशघात कर ही रहे हैं जो आपकी पत्नि है

खरी-खरी, वामा            Aug 04, 2016


journalist-arvind-sing-aniअरविंद सिंह। (पोस्ट थोड़ा लंबा हो गया हैं, पर चाहता हूँ कि मेरे दोस्त ज़रूर पढ़े) आज अदालत के कटघरे में मोहम्मद फारूकी की बारी थी..बेहद रचनात्मक दिमाग के मालिक और 'पीपली लाइव' के सह निदेशक फारूकी , आज एक विदेशी महिला के रेप के मुजरिम के तौर पर कोर्ट में थे ..मेरी नजरे बार बार फारूकी और उनकी पत्नी (और पूर्व टीवी पत्रकार)पर जा रही थी..ट्रायल के लगभग हर दिन की तरह वो आज भी कोर्ट रूम पहुची थी..2.30 के बाद अदालत न जब सजा सुनाने के लिए 3.30का वक्त मुकर्रर किया तो वो अपने पति के साथ पीछे की सीट जाकर पर बैठ गयी...एकाएक इमोशनल होकर उन्होंने अपने पति के हाथों को अपने हाथ में लिया और प्यार से सहलाने लगी.. वो उस वक्त बस रो नही रही थी..लेकिन उनकी आँखों से साफ़ था कि वो उस वक्त संयत होने की कोशिश कर रही थी..पति से लगातार बात कर उन्हें विस्वाश दिला रही हो कि सब ठीक हो जाएगा mahmood-farukhi खैर मेरे लिए ये अनुभव कोई नया नही हैं ..मैंने तमाम अदालतों में रेप के तमाम मुजरिम देखे हैं.. झुग्गी बस्तियो में रहने वाले लोगो से लेकर बड़ी हैसियत , रसूख वालो तक..मगर एक बात जो कॉमन है - वो ये कि लगभग हमेशा ही, उनकी पत्नीयों को उनका साथ निभाते देखा हैं.. मेरे जेहन में अभी डेनिश महिला से गैगरेप के मुजरिम की पत्नी, उस 26 साल की लड़की भी तस्वीर घूम रही हैं , जो अपनी छोटी बच्ची के साथ तब कोर्ट पहुँची थी..वो भी बार बार रोकर अपने पति के निर्दोष होने की दुहाई दे रही थी मेरे लिए बस यही सोचने का विषय हैं. .मैं अक्सर सोचता हूँ कि रेप का मुजरिम एक पीड़ित महिला को ही मन और तन का जख्म नही देता..किसी और के साथ सबंध बनाकर वो उस पत्नी के साथ उस भी breach of trust( विश्वासघात )करता हैं , जिसके साथ वो शादी के पवित्र बंधन में बंधा था.. सोचता हूँ कि क्या गुजरती होगी, एक रेप के मुजरिम की पत्नी के दिल पर भी..पति पर इल्जाम आते ही और उसके सार्वजानिक होने पर उसका दिल भर होता होगा.. दिल रोता होगा.. उसका विस्वाश टूटता होगा..एक रेप का मुजरिम सिर्फ अपनी ही इज्जत नही गंवाता बल्कि उस महिला के 'अहं' को 'हर्ट 'करता हैं, जो वो उसे पति मानकर सहेली-सखियों और रिश्तेदारों के बीच पालती है.. मगर फिर भी तस्वीर नही बदलती..डेनिश महिला के गैगरेप के मजरिम और फारूकी तक..सब की पत्नी रोती है, भावुक होती है..मगर कोर्ट रूम की आखिर सुनवाई तक वो अक्सर साथ निभाती नजर आती है.. सजा का एलान होने से पहले मैं अपनी कुछ पत्रकार दोस्तों के साथ इस केस के बारे में बात कर रहा था..ट्रायल की लगभग हर सुनवाई को कवर करने वाली मेरी एक दोस्त बता रही थी कि कैसे इस मामले में फारूकी और पीड़ित महिला के बीच दोस्ती का हवाला दिया गया .यानि indirectly ही सही , इस एक्ट को Consensual ठहराने की कोशिश की गयी..पर मुझे लगता हैं कि ये सवाल और चर्चा भी बेमानी हैं ..अगर आपने शादीशुदा होकर, सहमति के साथ भी किसी और के साथ सम्बध बनाये हैं तो भले ही फंसने पर, कानूनी तौर पर ये तर्क आपकी मदद कर दे, पर तब भी आप उस महिला के साथ तो विश्वाशघात कर ही रहे हैं, जो आपकी पत्नी हैं, और फिर आप गलत फंसते भी हैं ( यहाँ इस particular केस की बात नही हो रही हैं), तो भी मेरी सहानुभति आपके साथ नही हैं.. क्योकि गुनाह तब भी आपने किया ही हैं.. किसी के विश्वास का खून करके ... फेसबुक वॅल से


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