कुदरती हादसे के बाद मीडिया को सलाह गंभीरता बनाये रखें अफवाह न फैलाये! वाह! जी वाह!
खरी-खरी
May 06, 2016
मल्हार मीडिया।
उज्जैन सिंहस्थ में 8 लोगों की मौत हो गयी, 100 के लगभग घायल हैं। फिर सामान्य बात, हास्यास्पद, बुरा ना मानें तमाम भाजपाई अब फ़टी को सिलने में लगे हुए हैं। ताकि बची खुची लाज बच सके। करप्शन की भेट चढ़ा सिंहस्थ, इसके अलावा किसी का दोष नहीं। बात धर्म के हिसाब से भी देखी जाए तो पहले कई दिनों पूर्व ऐसे घटनाओं को लेकर भविष्यवाणियां हो चुकी थीं। लेकिन व्यवस्था के नाम पर मात्र नौटंकी, हवाबाजी, फ़ोटो सेशन, इसके अलावा कुछ नहीं। इस हादसे ने सरकार के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है।
सिंहस्थ पूर्व सीएम, उनके मंत्रियों ने एक लाख दावे किये, साब यह व्यवस्था, वो व्यवस्था, ऐसी सुविधा, वैसी सुविधा, लेकिन हकीकत कुछ यूँ। शर्मनाक हर जगह दूकान खोली और शुरू, कम से कम उज्जैन महाँकाल की नगरी को तो कम से कम बक्शा जा सकता था। कुदरत के आगे बेहतरीन मीडिया मैनेजमेंट आज धराशायी हो गया। केवल अख़बारों पर फ़ोटोबाजी करने वाले मुखिया उनके झांकीबाज मंत्रियों को प्रकति ने जवाब दे दिया, शायद यह बाबा महाँकाल का ही दंड है, लापरवाहो, झोलझाल छापो, झांकीबाजो को सबक सिखाया गया। या व्यवस्था, सुविधाओं की असलियत जो आज सामने आ ही गयी। लगभग कुल मिलाकर 800 करोड़ के खर्च से हो रहे आयोजन की आखिरकार पोल पट्टी खुल ही गयी। लेकिन मेरा बस एक सवाल इन जिम्मेदारों से की आख़िरकार इतना ज्यादा सरकारी खजाने का करोड़ो रुपया गया कहाँ, उससे क्या हुआ, क्या किया गया?
और अब शुरू हो गया, सरकारी भाषा का प्रयोग, ऐसी खबर ना डाले, वैसी भी नहीं, मीडिया गंभीरता रखे, क्या रखे साब सच्चाई भी ना बताये, पत्रकारिता छोड़ चाटुकारिता शुरू कर दे। मानाकि पैतरे के तहत विज्ञापनों से गच्च कर दिया गया है, कल से और भी विज्ञापनों की संख्या बढ़ सकती है, लेकिन क्या सही, जनता के साथ अन्याय करे, उन्हें सच ना बताये, स्थिति, व्यवस्था, सुविधाओ की नाकारा कहानी ना सुनाये, वाह जी वाह।
मल्हार मीडिया को मिले एक पत्र पर आधारित।
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