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नरेंद्र मोदी की कौन सी मजबूरी उन्हे टिकाए है राजभवन में.?

खरी-खरी            Apr 17, 2016


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का दो रोजा भोपाल दौरा 17 अप्रैल को खत्म हुआ। राज्यपाल रामनरेश यादव ना तो उनकी अगवानी के लिए और ना ही बिदाई के लिए एयरपोर्ट मौजूद थे। यही नहीं राष्ट्रपति ने रात राजभवन मे बिताई पर वहाँ भी राज्यपाल नहीं थे।वे बीमारी के कारण राजभवन मे नहीं बल्कि एक प्राइवेट अस्पताल मे भर्ती जो थे। जब से वे मध्यप्रदेश के राज्यपाल बने हैं, उनके साथ हमेशा ऐसा होता आया है। उनका एक पैर राजभवन मे तो दूसरा भोपाल के सबसे बेहतरीन प्राइवेट अस्पताल मे होता है। काँग्रेस की सरकार द्वारा नियुक्त और व्यापम घोटाले मे गले-गले तक फंसे होने के बावजूद रामनरेश यादव के राजभवन मे टिके रहने से भ्रष्टाचार मिटाने के मोदीजी के दावों का खोखलापन ही उजागर हो रहा है। सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री बनते ही पहली फुर्सत मे मोदीजी ने एक-एक कर काँग्रेस द्वारा नियुक्त सारे राज्यपालों की बलि ले ली सिवाय रामनरेश यादव और नजीब जंग के। साफसुथरी छवि वाले जंग का दिल्ली मे टिके रहना समझ मे आता है। मुस्लिम होने और केजरीवाल से तल्ख रिश्तों की वजह से मोदीजी के लिए बेहद उपयोगी जो साबित हो रहे हैं। इसके बरक्स मुख्यमंत्री रहते उन्हें नाकों चने चबवा देने वाली गुजरात की महिला राज्यपाल कमला बेनीवाल को बेइज्जत कर बर्खास्त करने का मोदीजी का तरीका खासा प्रतिशोधात्मक था। गुजरात जैसे बड़े राज्य के मुक़ाबले उनका तबादला मिनी स्टेट मिजोरम करने के बाद भ्रष्टाचार के आरोप मे बर्खास्त कर दिया गया। शीला दीक्षित, अजीज कुरेशी वगैरह सब एक एक कर जाते रहे, जिन्हे हटाने का कोई ठोस कारण नहीं था सिवाय इसके की उन्हे मनमोहन सरकार ने तैनात किया था.. सवालिया निशान यादव के मध्यप्रदेश मे टिके रहने पर लगा है,जो हाईकोर्ट के दखल के बाद ही कार्रवाई से बचे हैं। इतना ही नहीं जिसे वे ओएसडी बना कर लखनऊ से लाये थे वे घोटाले मे जेल जा चुके हैं।राज्यपाल का एक बेटा भी आरोपी था जिसकी संदिग्ध मौत हो चुकी है। आखिर माजरा क्या है जो इतनी बदनामी के बाद भी उन्हे मोदीजी का संरक्षण मिला हुआ है..! जो व्यापम घोटाले मे सीधे आरोपी हैं उनका बचे रहना प्रधानमंत्री को ही कठघरे मे खड़ा कर रहा है..? फेसबुक वॉल से।


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