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पाकिस्तान के मन मुताबिक हो गया हमारा कश्मीर

खरी-खरी            Jul 11, 2016


एस पी मित्तल। पड़ौसी देश पाकिस्तान जैसा चाहता था वैसा हमारा कश्मीर हो गया है। 11 जुलाई को भी लगातार तीसरे दिन कश्मीर घाटी में कफ्र्यू लगा रहा, लेकिन इसके बावजूद भी अलगाववादी सेना के जवानों पर हैंड ग्रेनेड फेंकते रहे। अमरनाथ यात्रा भी पिछले तीन दिनों से रुकी पड़ी है। 25 हजार यात्रियों को सुरक्षित जम्मू पहुंचाया गया है। अफवाहें न फैले इसलिए इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं भी बंद पड़ी हैं। 11 जुलाई को ही केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई। आज कश्मीर के जो हालात बन गए हैं, उसमें सबसे ज्यादा खुशी पाकिस्तान में बैठे मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद जैसो को हो रही है। आजादी के बाद से कश्मीर को लेकर जो नीतियां अपनाई गई, उसी का परिणाम है कि आज कश्मीर घाटी का पूरा माहौल एक तरफा नजर आता है। एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर छोडऩे के लिए मजबूर किया गया और अब अलगाववादी सीधे सेना से लड़ रहे हैं। इन हालातों में कश्मीर पुलिस की तो कोई बिसात ही नहीं है। सेना अथवा पुलिस की कार्यवाही में जितने अलगाववादी मरेंगे, उतना पाकिस्तान और हाफिज सईद को फायदा होगा। पिछले तीन दिनों में सेना से लड़ते हुए 22 से भी ज्यादा अलगाववादी मारे जा चुके हैं। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। असल में पाकिस्तान और हाफिज सईद तो यही चाहते हैं कि कश्मीर में हमेशा अशांति बनती रहे। अब यह कश्मीरी नागरिकों के समझने की बात है कि वे पाकिस्तान का हथियार न बने। जिस तरह अलगाववादियों ने अमरनाथ यात्रा मार्ग में लगे कैम्पों में आग लगाई है उसका असर भारत के अन्य हिस्सों में पड़ सकता है। आतंकी कार्यवाहियों से कश्मीरियों की आजीविका का एक मात्र जरिया पर्यटन भी खत्म हो चुका है। ऐसे में कश्मीर के आम लोगों को ही कोई सकारात्मक पहल करनी होगी। सेना और पुलिस पर हथगोले फेंकने से कोई रास्ता निकलने वाला नहीं है।


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