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मंदिर बनवाने का काम धनकुबेरों पर छोड़ दें सरकार

खरी-खरी            Apr 26, 2016


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित। शिवराजसिंह चौहान पाँच बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और पिछले दस बरस से मुख्यमंत्री हैं। जाहिर है उन पर ऊपरवाले की कृपा जमकर बरस रही है और अभिभूत चौहान राजधर्म भूल कर मुख्यमंत्री कम साधू-संत ज्यादा नजर आ रहे हैं। शायद इसीलिए वे हाजरी बजाने के लिए हर दूसरे दिन वे उज्जैन पहुँच जाते हैं। सबसे चिंता की बात यह कि इस गरीब और पिछड़े प्रदेश के सरकारी खजाने को वे बेदर्दी के साथ धर्म-कर्म पर लुटा रहे हैं। पूरा मुल्क देख रहा है कि सिंहस्थ के प्रचार के नाम पर करोड़ों-करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। पत्रकारिता को तिलांजलि देकर बाजार मे तब्दील हो चुका मीडिया खूब चाँदी काट रहा है। दैनिक भास्कर मे छपी यह खबर दिल दहलाने वाली है कि शिवराज सरकार श्रीलंका मे मंदिर बनवा रही है, जहां किवदंती के अनुसार रावण ने हरण कर सीता जी को रखा था। सौ करोड़ गरीबों के इस मुल्क मे लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं, अस्पतालों से डाक्टर नदारद और स्कूलों से मास्टर गायब रहते हैं तथा अदालतों मे जजों की कमी से दुखी सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रोने को मजबूर हैं। ऐसे मुल्क के गरीब और पिछड़े मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता के लिए विदेश मे मंदिर बनवाने पर सरकारी पैसा बर्बाद करे तो उससे बड़ा अपराधी भला कौन हो सकता है..? हम रोज देखते और सुनते हैं कि तिरुपति के मंदिर पर करोड़ों का गुप्त दान दिया गया या फिर साईं बाबा के मंदिर पर किलो से सोना चढ़ाया गया।बिड़ला ने देश में खूब सारे मंदिर बनवाए हैं पर लोग उन्हें भगवान के नाम से नहीं बल्कि बिड़ला मंदिर के नाम से जानते हैं। इसलिए हे, शिवराजजी मंदिर बनवाने का काम इन बेशुमार दौलत के स्वामित्व वाले मंदिरों और देश के धन-कुबेरों पार छोड़ दें। साथ ही सिंहस्थ मे हाजरी देने के बजाए आप पीने का पानी सुलभ कराने और दीगर जनसमस्याओं पर घोषणाओं की लफ्फाजी के बजाय ठोस उपाय करें। यह भी जान लें कि दो चुनाव आप इसलिए नहीं जीते हैं कि बतौर मुख्यमंत्री आपने खूब विकास किया है। यदि ऐसा होता तो लोग पानी को ऐसे ना तरसते..! दरअसल जनता काँग्रेस की दिग्विजयसिंह संस्कृति से अब तक डरी हुई है।


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