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मुख्यमंत्री के जिले में आनंद का आलम आसमान पर अपराधियों के हौसले

खरी-खरी            Aug 06, 2016


सीहोर से शैलेष तिवारी। मध्यप्रदेश में आनंद का विभाग सक्रिय ...लेकिन मुख्यमंत्री के ​ही जिले सीहोर में अपराधियों के हौंसले आसमान छू रहे हैं और आम आदमी अपनी रोज़मर्रा की मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। इस तरहै जूझते—जूझते कहीं सुलग रही चिंगारी लावा बन कर फूट ना जाये। केस नंबर एक- नसरुल्लागंज का जहाँ रेत माफियायों के बीच सरे आम खूनी जंग हुयी। इस द दौरान गोलियां भी चली। 8 लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गये। पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ केस कायम कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। परन्तु ये बताने को तैयार नहीं है कि घटना में इस्तेमाल किये गए हथियार लायेसेंसी थे या गैर कानूनी। हथियारों की जब्ती बनी या नहीं ये भी नहीं मालूम। कारण दोनों पक्ष कहीं न कहीं से संरक्षण प्राप्त। बे बस पुलिस । केस नंबर दो- मामला इच्छावर का। जहाँ 15 साल की आदिवासी बालिका गेंगरेप की शिकार हो गयी। तीन युवकों ने जंगल ले जाकर तीन दिन तक कुकृत्य किया। आरोपी फरार। दिल्ली की बालिका होती तो सारे चैनलों की प्रमुख खबर बनती। गरीब की लुगाई सब की भौजाई वाली कहावत चरितार्थ हुयी। स्थानीय मीडिया भी खबर को उतना हाई लाइट नहीं कर सका,जितनी होनी चाहिए थी। केस नंबर तीन- मामला जिला मुख्यालय सीहोर का। जहाँ की गूंगी जनता को चार से पांच दिन में पानी की सुप्लाई मिलती है। वो भी औसत से आधी से ज्यादा बारिश होने के बाद। पहले पानी की कमी थी अब? कहने को भाजपा की परिषद् है। कई सालों बाद बारिश में जन का तन और मन पानी के इंतजाम में लगा है। ये घटनायें बानगी भर हैं। किस्से कई हैं, उस जिले की जहाँ से मुख्यमंत्री प्रतिनिधि हैं।


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