बहुत बड़ा अर्थशास्त्री नही हूँ, जितना आम आदमी को अर्थ की जानकारी है हां उससे थोडा 19-20 होगा ही। 24 घंटे का ड्रामा बहुत हो गया अब आप जापान निकल लिए, ठीक है जरुरी दौरे करें देश तरक्की करे आपके दौरों से इससे ज्यादा न मुझे न किसी और को कुछ चाहिए।
बात अचानक नोट बंद करने की है… इतना तो मैं क्या आम आदमी भी जानता है कि देश के कुल धन का आधा टॉप 100 उद्योगपतियों के पास है। जिनको सरकार नये इन्वेस्टमेंट में छूट देती है, लोन देती है उनको कागजी मदद भी। मगर मोदी जी उन सौ लोगों को छोड़ (देश में मौजूद) कुल रकम की आधी ब्लैक मनी के लिए पूरी जनता (सवा अरब) को आपने परेशान किया। जिनके पास देश की कुल रकम का आधा हिस्सा है क्या वह सौ लोग ईमानदार हैं?
आंकड़े गवाह हैं कि सरकार भी उन्हीं सौ लोगों को पाल पोस रही है जिनके पास देश की आधी रकम है। अब बात सवा अरब लोगों की करूँ… आपने तय समय में ब्लैक मनी घोषित करने पर छूट दी। मतलब जो लुटेरे रहे हैं उनको आपने डिस्काउंट ऑफर दिया, इन लुटेरों में वह आईएएस बंसल भी हैं जिसने बेटे संग सुसाइड कर लिया आपके तोते और अध्यक्ष पर आरोप लगाकर।
मोदी जी अब सुनिए खरी खरी… आपको आधी रकम के मालिक टॉप सौ लोग पालने पड़ रहे हैं। देश के दस हजार ब्लैक मनी वालों को आप डिस्काउंट ऑफर दे रहे हैं और वह मध्यम वर्ग जो दो जून की रोटी के लिए जी रही है उसको आप बैंक में लाइन लगवा रहे हैं? कितने मासूमों की गुल्लक फूटी, कितनी गृहणियों (गृह लक्ष्मियों) की पैसे बचाने की आदत पर आपने पानी फेरा, कितने सराफा वालों ने इस रकम का सोना बेच डाला, कितने पेट्रोल पम्प वालों ने जबरन 500 का पेट्रोल डाला, काशी में चिताएं जलाना दूभर हुआ, शादी ब्याह के सीजन में परिवारों को चुनौती दी।
मेरे कहने का अर्थ यही कि आर्थिक आतंकवादियों और धन पशुओ को आप डिस्काउंट ऑफर दे रहे हैं उनकी जांच तक नहीं कर रहे और ड्रामा इतना कि देश भक्ति उबालें मारने लगी आपकी और हां उन लोगों की भी जो आज छुट्टा कराने को दर दर भटके। क्या आपके नये 2000₹ और 500₹ को पाकिस्तान कॉपी कर नकली करेंसी नही बना पायेगा? आपकी दिल्ली में बैठकर दस रूपये के अवैध सिक्के ढाले जा रहे थे और आर्थिक आतंकवाद बाहर से आने का रोना रो रहे हैं। माना कि उत्तरप्रदेश में चुनाव सर पर हैं सपा, बसपा को आर्थिक दिक्कतें होंगी मगर यह ख्याल आपको आया कि यहाँ छुट्टा के लिए भटक रहा वोटर भी है?
#नोट- यह पोस्ट भक्तों के लिए नहीं है।
अभिषेक दैनिक जागरण बनारस में कार्यरत हैं यह आलेख उनक फेसबुक वॉल से लिया गया है।
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