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यहां हो रहा देह व्यापार का खुला खेल फर्रूखाबादी

खरी-खरी, वामा            Sep 05, 2015


kumar-souveer कुमार सौवीर लखनऊ में देह-व्‍यापार की खुली मण्डियों की खबर जब पहली बार मिली, मैं सन्‍न रह गया। खबर यह कि लखनऊ में देह-व्‍यापार का एक नहीं, दर्जनों संगठित बाजार फल-फूल रहे हैं। जानकीपुरम हो, चिनहट, महानगर, हजरतगंज, चौक, राजाजीपुरम, आलमबाग अमीनाबाद, ऐशबाग और कैंट आसपास ही नहीं, उपनगरों में भी इसकी डालें खूब लटक रही हैं। हैरत की बात है कि शहर का आधुनिक बाजार कहलाने वाले सहारा गंज क्षेत्र में तो इसका सर्वाधिक सक्रिय और बेशकीमती बाजार पसरा हुआ है। न कहीं कोई झिझक और न कोई शर्म। जैसे आप टीशर्ट या मूली-मिठाई खरीदने निकलते हैं, ठीक उसी तरह आपको गर्म-गोश्‍त मिल सकता है। बेहद आसानी से। कीमत तीन हजार से लेकर पचास हजार रूपया तक। पर ऐसा नहीं कि यह सब दबे-छिपे चल रहा हो। सारा कुछ खुलेआम। खुला खेल फर्रूखाबाद। नेट खोलिये और टाइप कीजिए फीमेल स्‍कॉर्ट इन लखनऊ। आपको एक नहीं, हजारों साइट्स मिल जाएंगीं। किसी मंझे हुए व्‍यापारी की तरह नेट-बाजार लकद‍क सजा हुआ दिखेगा। अदाएं, समय और उनका मूल्‍य। बिना किसी बारगेनिंग की तरह। लगता है कि जैसे किसी कुशल वेब-पेज डेवलपर्स की सुविधा ली जाती है इसके लिए। बिलकुल अपडेट। बाजार कमसिन लड़कियों से लेकर अधेड़ महिलाओं तक के लिए सजा रहता है। आपको जरूरत हो तो लेस्बियन और गे भी इस बाजार में मिल जाएंगे। लेकिन यह सब हाईफाई और अमीर लोगों के लिए होता है। आपकी जेब अगर कड़क है तो मोबाइल के व्‍हृवाटसअप पर भी एक मंझोला बाजार सजा हुआ है। जैसे महानगर, सदर और आलमबाग जैसे किसी साप्‍ताहिक मेला-ठेला की ही तरह का हरा-भरा। इसके लिए आपको सिर्फ किसी एक सुराग देेने वाले की जरूरत है, जो उपरोक्‍त बाजारों में ढाबे-चाय-पानवाले या किसी स्‍थानीय रिक्‍शेवाले के सहारे मिल सकता है। इसमें आपका परिचय ह्वाट्सअप से होगा। आपको इनमें से किसी चौराहे पर बुलाया जाएगा, बातचीत होगी और फिर फोटोंज का आदान-प्रदान के बाद सौदा पक्‍का किया जाएगा। पुलिस के खुले संरक्षण में। वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि इतना बड़ा धंधा खुलेआम चल रहा हो, और पुलिस को पता नहीं। मुझे एक दलाल ने जानकीपुर के टेढ़ी पुलिस चौराहे पर बुलाया तो दो ने सहारा गंज के सामने। इन तीनों ने मिलने का स्‍थान तय किया पुलिस पिकेट के बगल में। अब या तो पुलिस को कुछ पता ही नहीं रहता है, या फिर वह सफेद झूठ बाेलते हुए खुद को साफ-सुधरा साबित करते रहती है। हां, यह जरूर हो सकता है कि ऐसे धंधेबाजों के बाजुओं में इतना दम बढ चुका हो कि उन्‍हें देखते ही पुलिसवालों की घिग्‍घी बंध जाती हो। कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से


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