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विकास के दो ध्रुव : आलाकमान अफसर और आदिवासी

खरी-खरी            Aug 28, 2016


rakesh-kumar-paliwalराकेश कुमार पालीवाल। 26 अगस्त के टाइम्स आफ इंडिया के दो समाचार हमारे समय के दो बड़े सच हमारे सामने देश के विकास की सच्चाई उजागर करने में सक्षम हैं । 1- कालाहांडी का एक गरीब आदिवासी बीमारी से मृत पत्नी का शव 12 किलोमीटर कंधे पर ढोता है और 2- कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी अरविंद जाधव की 85 वर्षीय वृद्ध माँ अपने बेटे के पद की ठसक के चलते कालोनाइजर का काम करती हैं। जिन आला अफसरों पर सबके और खासकर गरीबों और आदिवासियों के विकास की जिम्मेदारी थी उन्होंने सिर्फ अपने परिजनों और आकाओं के विकास का जिम्मा उठा लिया है। उनके लिए जनता और गरीब जाएँ भाड़ में। यू पी के दो चीफ सेक्रेटरी भी इसी तरह के भ्रष्ट कारनामों के चलते अंतिम समय जेल मे पहुँचे।उनकी तरह के कई भ्रष्ट जाते जाते बचे।यदि करीने से कोई संस्था सर्वे करे तो पता चले कैसे बड़े प्रशासनिक अफसरों के नजदीकी रिश्तेदार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करते हैं और आम जनता को कभी मिट्टी मिला गेहूँ मिलता है और कभी छोटे छोटे काम के लिए बरसों धक्के खाने पडते हैं। एक तरफ अंबानी और अदानी जैसे पूंजीवादी धन के दम पर दूसरी तरफ चंद भ्रष्ट नेता और अफसर अपने पदों की शक्ति के दुरूपयोग से रातों रात अमीर हो रहे हैं और दूसरी तरफ किसानों, मजदूरों और आदिवासियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है । एक देश के रूप मे विकसित होने के लिए हमे बहुत कुछ बदलने और ठीक करने की जरूरत है। फेसबुक वाल से।


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