संजय कुमार सिंह।
प्रधानमंत्री का एक पुराना इंटरव्यू देखिए। इसके हवाले से यह कहा गया था कि उन्होंने हाई स्कूल के बाद 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी का पर्चा दाखिल करते हुए लिखा था कि उन्होंने 1967 में एसएससी बोर्ड गुजरात की परीक्षा पास की थी और फिर 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद से एमए किया था। इस आधार पर एसएससी के बाद की उनकी डिग्रियां शक के घेरे में आ गईं। पर इस इंटरव्यू को ठीक से देखिए। 20वें मिनट के बाद से उनकी शिक्षा की चर्चा है और उन्होंने साफ-साफ कहा है कि हाई स्कूल करने के बाद 17 साल की उम्र में घर से निकल गए थे। पर आगे यह भी कहा है कि संघ में वरिष्ठों के कहने पर पत्राचार से भिन्न पाठ्यक्रम पूरे किए और एमए कर लिया।
https://www.youtube.com/watch?v=shyXSvQW4_w
ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए करने का उनका दावा गलत नहीं लगता है पर डिग्री ना होने और फिर किसी अन्य नरेन्द्र मोदी की डिग्री आने से जो भ्रम की स्थिति बनी उसे भक्तों ने अपने तर्कों से और उलझा दिया। रही सही कसर प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी से पूरी कर दी और अगर पहले आरटीआई का जवाब नहीं आ रहा था तो अरविन्द केजरीवाल के पत्र लिखने पर उसे आरटीआई मान लेना और उसपर प्रधानमंत्री कार्यालय की नाराजगी ने डिग्री को राजनीतिक रंग दे दिया। और इसी से अरविन्द केजरीवाल के दावे में दम लगता है। सूचना के अधिकार, नैतिकता और पारदर्शिता के साथ-साथ आम मानव व्यवहार कहता है कि डिग्री है तो मुंह पर मारिए पर यहां भक्तोलॉजी जारी है। कुछ उदाहरण और स्तर देखिए
केजरी स्तर की पोस्ट : जैसा सवाल वैसा जबाब। एक केंद्रीय आपिये नेता ने ट्वीट कर मोदी जी से सवाल पूछा है 1978 में बीए किया है और 1983 में एमए किया है, आपको एमए करने में पांच साल कैसे लगे। क्या आप बीच में फेल हुए थे?? ..... ..... अबे सल्फेट, यह सवाल तो तुम्हारे मुखिया के मोहल्ले में भी गूँज रहा है। अब उनसे पूछो कि उनकी संतानों (एक 16 - एक 10 ) में इतना अंतर क्यों है? ????? क्या बीच में फेल ... ....?? (इसको समझिए अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के बाद एक सोची समझी रणनीति के तहत, निम्न स्तर के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं ताकि जनता का ध्यान बंट सके)
ऑगस्टा वेस्तलेंड घोटाले से ध्यान हटाने के लिए ही केजरीवाल और उनके समर्थक घटिया आरोप लगा रहे हैं । स्तरहीनता की हद !
220 पन्नों के सबूत हैं तुम्हारे पास। तुम तो शीला दीक्षित से भी डर गए केजरीवाल जी। दो साल हो गए, अभी तक जेल नहीं भेज पाए। क्या शीला दीक्षित से डरते हो ? या कांग्रेस से मिले हुए हो।
सवाल मोदी जी की डिग्री का नहीं है सवाल उस रीत का है जिस रीत से हमारे यहाँ डिग्रियाँ प्रदान कर दी एवं ली जाती हैं।.....
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जो कि कायदे से एक पूरे राज्य के भी मुखिया नही हैं, भारत के प्रधानमंत्री के विरूद्ध विषवमन कर किस कदर संविधान के इन प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं, जो साफ कहता है कि राज्य की कार्यपालिका केन्द्र की कार्यपालिका के विरूद्ध ऊलजूलूल बकवास और विवाद नहीं पैदा कर सकती है।
केजरीवाल जी कल अच्छा बोले, चलो मान लिया मोदी जी में हिमत नहीं है सोनिया जी को गिरफ्तार करने की, लेकिन शीला दीक्षित जी के बारे में उन्होंने क्या किया, जरा ये भी तो बताएं,
मुख्यमंत्री के पास क्या और कोई काम नहीं है जो फालतू में देश का समय और धन बर्बाद करवा रहा है? मुझे तो ये डर लग रहा है कल वो उस दाई से नर्सिंग सर्टिफिकेट न मांग ले जिसने उसके पैदा होने पर प्रसव करवाया था।
केजरीवाल .. महाधूर्त है! सोनिया गाँधी पर आंच न आये, उसके बारे में मीडिया में ज्यादा बात न हो, इसीलिए अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की डिग्री की बात छेड़ी है..ये आदमी...CM..है..या......MC..??
ऑगस्टा डील से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए अरविन्द केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री मांग रहे हैं....आखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है ?
केजरीवाल जी से ज्यादा हास्यास्पद राजनीतिज्ञ नहीं देखा, दिल्ली की जनता का हाल बुरा है, उनकी पार्टी के कई सदस्य फर्जी डिग्री वाले हैं, तो सब लोग उनको अपने जैसे झूठे ही दिखते हैं,खैर सबसे मजेदार बात तो ये है कि मोदी जी की डिग्री पॉलिटिकल साईंस में पत्रचार के द्वारा है और केजरी महाशय जो दस्तावेज दिखा रहें है वो किसी नरेन्द्र महावीर मोदी की रेगुलर कोर्स में कॉमर्स की है, अब जो मुख्यमंत्री पत्राचर रेगुलर कोर्स और पॉलिटिकल साइंस कामर्स में अंतर न समझे, उसपे यकीन कोई समझदार आदमी तो कर नही सकता।
मोदी में सबसे बड़ी खूबी यही है की वो हर बात का जवाब नहीं देते और अपने काम में जुटे रहते हैं। अगर ध्यान देने लगे तो इनकी तो मौज हो जायेगी, रोज़ कुछ न कुछ नाटकबाजी होगी। अभी तो ये है कि तुम्हें चाहिए, तुम ढूँढो।
यह सब तब हो रहा है जब मोदी जी के एक ट्वीट से सारा मामला खत्म हो जाए। पर मोदी जी ट्वीट नहीं करेंगे, पीएमओ चुप रहेगा लेकिन सीआईसी पर नाराजगी जता देगा। तो आप समझ सकते हैं कि यह सब विवाद किसलिए है। इसमें किसकी भूमिका है, किसका स्वार्थ है। नरेन्द्र मोदी का, अरविन्द केजरीवाल का या सोनिया गांधी (अथवा कांग्रेस का)। चुप कोई नहीं रहेगा, काम की बात कोई नहीं करेगा।
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