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सिर्फ ओडिसा नहीं:आदिवासियों और गरीबों की दुर्दशा कमोवेश हर प्रदेश में एक जैसी है

खरी-खरी            Aug 27, 2016


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित। ओडीसा के आदिवासियों की दुर्दशा बयान करते फोटो और वीडियो मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल होने से देश स्तब्ध, सहमा हुआ और दहशत में है। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा जिस प्रकार फूटा पड़ रहा है, उससे ऐसा लगता है मानो ऐसा पहली बार हुआ है। हकीकत इससे एकदम उलट है और जान लीजिए कि आदिवासियों और अन्य असंगठित गरीबों की ऐसी दुर्दशा केवल ओडीसा में नहीं बल्कि कमोवेश हर सूबे में है। हकीकत इसलिए सामने नहीं आ रही है क्योंकि एकाध अख़बार और एकाध समाचार चैनल को छोड़ देश का सारा मीडिया बाजार में तब्दील हो चुका है और सरकारों के शिकंजे में है। मीडिया के साथ दो बातें एक साथ हुईं। पहले तो पुराने मीडिया मालिकों ने अपना रूतबा और रोब ग़ालिब कर उद्योग-धंधों में पाँव पसारना शुरू कर दिया। उनकी कामयाबी से भौंचक सेठ साहूकारों और पूंजीपतियों ने मीडिया की ताकत को समझा और वे भी इसमें कूद पड़े। news-clip-balasor news-clip-bhopal-pregnent-women news-clip-father-girl news-clip-gariaband news-clip-dana-manjhi इस प्रकार पुराने और नए दोनों मीडिया मालिकों ने सरकारों की जी हजूरी करना श्रेयस्कर माना क्योंकि बिजनेस करने वालों में सरकारों से पंगा लेने की हिम्मत नहीं होती है। इसलिए ओडीसा के आदिवासियों की दर्दनाक तस्वीरों को वहां के मीडिया में शायद ही जगह मिली हो..! दो शब्द ओडीसा के बीजू-नवीन पटनायक घराने के बारे में। बिजयनंदा अर्थात बीजू पटनायक दो बार मुख्यमंत्री रहे और कई बार केंद्र में मंत्री भी रहे। उनकी ख्याति कुशल पायलेट की भी रही है इसलिए जमीनी हकीकतों से वे ज्यादा वाकिफ नहीं रहे होंगे। उनके बेटे नवीन पटनायक बीते 15—16 बरस से मुख्यमंत्री हैं और चौथी बार गद्दी पर बिराजने वाले कुछ एक मुख्यमंत्रियों में हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जान ऍफ़ केनेडी की विधवा जेक्लीन ओनासिस से उनकी दोस्ती भी चर्चा में रही है। अपने सूबे को बाप-बेटे ने क्या दिया इसके अब और सबूत की जरूरत है क्या..? छत्तीसगढ़, झारखण्ड और मध्यप्रदेश में गरीबों की दशा बयान करती कुछ तस्वीरें पेश हैं..!अकेले ओडीसा नहीं कमोवेश हर प्रदेश में है


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