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सुप्रीमकोर्ट की भी अनदेखी-भाजपा हो या सेकुलर (?)काँग्रेस

खरी-खरी            Apr 28, 2016


श्रीप्रकाश दीक्षित। काँग्रेस सेकुलर होने का कितना ही ढ़ोल क्यों न पीटे पर धर्म, धार्मिक उन्माद और मजहबी कठमुल्लों के आगे उसकी गति भी साँप छछूंदर जैसी हो जाती है। तभी तो 2006 में जब गुजरात हाईकोर्ट ने धर्म-स्थलों सहित सभी अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश दिया तब केंद्र व राज्य सरकारों ने हाथ खड़े कर दिए। आदेश के खिलाफ मनमोहन सरकार सुप्रीमकोर्ट जा पहुंची पर उसने हाईकोर्ट का आदेश न सिर्फ बहाल रखा बल्कि राज्यों के साथ केंद्रशासित प्रदेशों को भी इसकी परिधि में ले लिया। देश की सबसे बड़ी अदालत का आदेश हुए भी दस बरस होने को आए पर धर्म के नाम पर अंधविश्वासों को बढ़ावा देने वाली काँग्रेस और भाजपा की सरकारें सुप्रीमकोर्ट की भी परवाह नहीं कर रही हैं। हम रोज देखते हैं कि किस प्रकार सड़कों और प्रमुख चौराहों पर गैरकानूनी मंदिर और मजार आदि शान से बिराजमान हैं। इतना ही नहीं सरकारी जमीन पर कहीं भी एक मूर्ति या पत्थर लगा कर मंदिर बना दिया जाता है। राजधानी में ही सबसे व्यस्त सोमवारा चौराहे पर कर्फ़्यू वाली माता का मंदिर बना हुआ है जहां कभी भी भीषण दुर्घटना हो सकती है। केंद्र और राज्य सरकारों की उपेक्षा से खफा सुप्रीमकोर्ट ने 19 अप्रैल को सुनवाई में सख्त तेवर अपनाते हुए सड़कों,फुटपाथों और सार्वजनिक जगहों पर बने अवैध धर्म-स्थलों को भगवान का अपमान बताया। इन्हें न हटाने पर सरकारों को फटकार लगाते हुए जजों ने कहा कि हमारे आदेश कोल्ड स्टोरेज मे रखने के लिए नहीं होते हैं। यदि इनके प्रति सरकारों के मन में जरा भी आदर नहीं है तो हम उनसे भी निपट लेंगे..! अब मई में फिर सुनवाई होगी। अब सरकारों के सामने इस धार्मिक अराजकता से कठोरता से निपटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्हें सबसे पहले सरकारी इमारतों और पुलिस थानों आदि से इस प्रकार के अतिक्रमण हटा कर उन्मादी धार्मिक कठमुल्लों को कड़ा संदेश देना चाहिए। इसके बाद बिना भेदभाव के पूरी निर्ममता के साथ धर्म के नाम पर किए गए अवैध निर्माणों को नेस्तनाबूद करना होगा। clip-naidunia-suprim-court [नईदुनिया की खबर]


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