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20% अफसरों का तो माननीयों का कितना? क्या वाकई नौकरशाही ही निशाने पर है?

खरी-खरी            Aug 29, 2016


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सत्तारूढ़ प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की समन्वय बैठक में जिम्मेदार लोगों द्वारा नौकरशाही पर हमले से अफसरशाही और उनके पूर्वज खामखाँ परेशान हैं। वैसे पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच और केएस शर्मा ने इस विलाप पर करारा जवाब दिया है। दरअसल कैलाश विजयवर्गीय जैसे राष्ट्रीय महासचिव नौकरशाही को भ्रष्ट और बेलगाम घोषित कर अपने ही मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहे थे।यदि अफसर वाकई इस प्रकार खुल कर खेल रहे हैं तो इसके लिए सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री और फिर उनके वजीरों को ही दोषी नाम जाएगा। कैलाश विजयवर्गीय ने यह तो कह दिया कि अफसर हर काम में 20% लेते हैं पर इसमें से कितना माननीय मंत्रीजी की जेब में जाता है यह उन्होंने नहीं बताया। वे कोई भोले भंडारी तो हैं नहीं, आखिर वे भी लोक निर्माण जैसे नंबर दो की कमाई के लिए बदनाम विभाग के मंत्री रह चुके हैं। अब वे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के खासमखास हैं और इस नाते प्रधानमंत्री मोदी के भी चहेते हैं। यह राजनैतिक पंडितों के आंकलन का विषय है कि राज्य सरकार पर यह हमला पार्टी हाईकमान की किसी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है..? उधर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने दो टूक बयान दिया है कि कमी घोड़े अर्थात अफसरों में नहीं बल्कि घुड़सवार अर्थात मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान में है। वैसे उनके इस बयान को मंत्री पद से हटाए जाने की टीस और गुस्सा कह कर ख़ारिज नहीं किया जा सकता है। आखिर आईएएस, आईपीएस,आईएफएस और अन्य खास पदों पर नियुक्तियां मुख्यमंत्री ही करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पता नहीं किस लोक में विचरण कर रहा है। उसके वरिष्ठ पदाधिकारी भैयाजी जोशी बैठक में बोले कि पार्टी विथ डिफरेंस है तो दिखना भी चाहिए। क्या उन्हें दिख नहीं रहा की सत्ता मिलने के बाद यह भी बस जुमला भर रह गया है और पार्टी कांग्रेस की सत्ता संस्कृति से तरबतर है? मध्यप्रदेश में हम दस-बारह बरसों से यह देख रहे हैं और अब केंद्र में भी वाही हो रहा है। अपने लोगों को राजभवनो में फिट करना और उनके जरिए उत्तराखंड और अरुणांचल में सरकारें गिराने के कांग्रेस जैसे हथकंडे, सीबीआई को पिंजरे से आजाद ना करना और सुप्रीमकोर्ट को आँखें दिखाना तो यही साबित कर रहा है।


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