उनके दशकों पुराने सवालों के सही जवाब दे दीजिए, मिसगाईड मत करिए

खरी-खरी            Jun 19, 2022



ममता मल्हार।
सालों से तैयारी कर रहे बेरोजगार को ज्ञान दो उसे समझाओ तुम नौकरी के लिए नहीं चार साला सेवा के लिए बने हो, सेवा के लिए जुनून चाहिए, त्याग चाहिए।

चार साल बाद 12 लाख मिलेंगे और चार साल के दौरान इतने-इतने मिलेंगे। वह पूछ ले कि चार साल बाद 12 लाख की कीमत क्या रह जाएगी?

तो फिर ज्ञान दे दो अरे बिजनेस कर लेना। इस बीच एक नेता का बयान आता है कि इनको तो राजनीतिक पार्टी के कार्यालयों की चौकीदारी के लिए रखा जाएगा।

वह फिर आपकी तरफ सवालिया नजरों से देखता है,आप उसकी तरफ अग्निपथ योजना के लाभ बताती हुई आईटी सेल की पोस्ट ठेल देते हैं।

इस बीच उसके सवाल वहीं के वहीं हैं। इस देश की सबसे बड़ी समस्या है कि दशकों से पहले की पीढ़ियों ने युवाओं को सुनना समझना सीखा ही नहीं बस ज्ञान दे दिया जाता है आदेश दे दिए जाते हैं हैं बेटा एडजस्ट कर लो।

जबकि यह सब वे भी झेल चुके होते हैं। कई दशकों से युवाओं के साथ रोजगार के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है। कभी लिखूंगी एमएसएमई की हकीकत तो समझ आएगा कि हर स्तर पर किस तरह से लोगों को उलझाकर सिर्फ परेशान किया जा रहा है।

पिछले कुछ सालों से नया तर्क आ गया है सरकार सबको नौकरी नहीं दे सकती बिजनेस कर लो। ये दुकान खोल लो वो मजदूरी कर लो। जो बेकार फिर रहे हैं उनमें कुछ करने का हुनर ही नहीं है।

बिजनेस करने के लिए पैसा लगता है सर, फिर हर कोई बिजनेस कैसे कर सकता है? सरकारों को कहने में कुछ नहीं जाता।

बैंक के चक्कर तो लगाकर आईए बैंक बिजनेस के नाम पर एक लाख भी दे दे तो बिना गारंटी के।

अब वह जो युवा है जिसकी पढ़ाई ही मैकाले की शिक्षा प्रणाली से हुई है। वह खुद के भीतर के बाबू साहब को नहीं मार पाता।

2018 में एक पूर्व मुख्यमंत्री की प्रेस-कांफ्रेंस चल रही थी, विधानसभा चुनाव का समय था, वे लगातार कह रहे थे हमारी सरकार आएगी तो हम बेराजगारी दूर करेंगे।

मैंने सवाल किया कि बेराजगारी दूर करने के लिये क्या योजना है? क्या रोडमैप है आपका?

अगर आपकी सरकार आई तो? सामने से जवाब आया हम मध्यप्रदेश में और कॉलेज खोलेंगे।

मैंने फिर क्रॉस क्वेश्चन किया इससे बेरोजगारी कैसे दूर होगी सर? बोले हम टेक्निकल इंजीनियरिंग जैसे और कॉलेज खोलेंगे। अब कोई बताये कि ज्यादा कॉलेज खुलने से रोजगार की समस्या कैसे दूर होगी?

मध्यप्रदेश में नौकरियों को ठेके पर देने का क्रेडिट दिग्विजयी कांग्रेस सरकार के खाते में है।

आज लगभग हर विभाग में आउटसोर्स कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है, स्थायी नौकरिया खत्म हैं। संविदा शिक्षक संविदा बाबू, संविदा ये संविदा वो। सरकारें ही इन ठेके के कर्मचारियों के भरोसे चल रही हैंं।

पर जमीनी हालात पता कर लीजिए महीनों से कई राज्यों में वेतन ही नहीं हो पा रहे हैं।

नो पेंशन नो एक्सटेंशन की तर्ज पर सभी जगह कर्मचारी लगे हुए हैं। मगर उच्च पदों पर एक्सटेंशन विथ पेंशन चल रहे हैं। एक जगह से रिटायर हुए दूसरी जगह सेट हो गए, अगर एक्सटेंशन न हो पाए उसी विभाग में उसी पोस्ट पर। ऐसे लोग युवाओं को देशसेवा का पाठ पढ़ा रहे हैं।

कई दशकों से आज तक युवाओं को उनके सवालों के जवाब ऐसे नहीं मिले हैं कि कोई ठौर—ठिकाना बने। आपके सवालों का जवाब न मिले और आपको ज्ञान पर ज्ञान दिया जाए तो आप क्या करेंगे?

इसका अर्थ यह तो कतई नहीं कि सामने वाला पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने का अधिकारी हो जाए। लेकिन ये जो जितने एसी कमरों में रिवाल्विंग चेयर पर बैठकर ज्ञान बरसा रहे हैं अगर इनका किसी ढंग के पढ़े-लिखे बेरोजगार से सामना हो जाए तो ये बगलें झांकने लगेंगे।

उनको उनके सवालों के सही जवाब दीजिए मिसगाईड मत करिए। उत्तर-दक्षिण करके उनका दिमाग मत घुमाईए।

आप सरकारी नौकर हैं किसी पार्टी के फॉलोवर हैं, कारिंदे हैं, उपकृत हैं जो भी हैं थोड़ी देर को ये सब साईड में रख दीजिए।

सिर्फ अपने दिन याद कर लीजिए। शायद उनकी परेशानी समझ आ जाए अगर आप भरे पेट न हों तो।
#ममता_मल्हार

 



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