ममता यादव।
इस बार भोपाल जो ऐतिहासिक तपन झेल रहा है इसका श्रेय दीजिये भोपाल के उन प्लानिंग अधिकारियों को जो फलदार छायादार पेड़ सुखाकर, कटवाकर बिना मतलब के पाम ट्री से भोपाल की सड़कों को सजा रहे हैं।
मुख्यमंत्री रोज एक पौधा लगाते हैं सबको प्रेरित भी करते हैं। उनके भाषणों में पौधरोपण और पर्यावरण कलमे की तरह शामिल है।
लेकिन आम प्रदेशवासी के मन में खासकर भोपालवासियों के बीच यह सवाल जबतब उठते रहते हैं कि ये जो पेड़ काटकर पाम ट्री लगाने की प्लानिंग होती है क्या इस पर उनका ध्यान नहीं जाता?
वैसे आजकल कुछ प्राइवेट एजेंसियां प्लांटेशन का काम करने लगीं हैं। ध्यान दीजिये यह काम वन विभाग का है।
लेकिन ये एजेंसियां जंगल के बीच प्लांटेशन कर रही हैं। इनके एक पौधे की कीमत 400 रुपये है।
कुछ महीने पहले यूँ ही कोई सम्पर्क में आया था तो पता चला।
अब अगले दो-तीन साल में अगर पौधा घोटाला सामने आ जाये तो हैरान मत होईयेगा।
विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई दूँ कि न दूँ अब बोलो।
कार्टूनिस्ट Ismail Lahari के कार्टून काफी हैं हमारी खुदगर्जी और कमअक्ली को दिखाने के लिये। अभी भी कहीं एसी कमरों में बिसलेरी बोतल के साथ पर्यावरण को बचाने की बातें हो ही रही होंगीं।
क्या जाता है बात करने में, कुछ नहीं जुबान ही तो हिलाना है। बस तमाशे करवा लो।
पिछले साल लिखी थी नीचे की पंक्तियां।
उसी से सांसें लेते हैं, उसी में जीते हैं
उसी को पीते हैं, उसी को खाते हैं
हमारा रोम-रोम है जिसका कर्जदार
उसी को हम एक दिन मनाते हैं
जाहिर है हम अहसान फरामोश हैं
हम न नदियां बचा पा रहे न जंगल
तो हमें कौन बचाएगा कोई नहीं
जवान पेड़ों को काटकर
पौधों को लगाकर पर्यावरण दिवस मनाते हैं
कुदरत के खिलाफ होने वाले गुनाहों का पारावार न रहा
इंसान तूने जब से खुद को रब से ऊपर माना
तू इंसान होने का हकदार न रहा।
मल्हार
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