राकेश दुबे।
आप मानें या न मानें बापू ने कहा था “आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों।“ आज अपने को बापू के विरासतधारी कहने वाले इससे उलट वो सब कह रहे हैं, कर रहे हैं जो बापू अर्थात मोहनदास करमचन्द गाँधी की सीख के विपरीत है।
आपका विचार कुछ भी हो, गाँधी के बारे में कुछ भी बोलने से पहले एक बार खुद से पूछें कि आप अपनी जिन्दगी में गाँधी का कितना अनुसरण कर रहे हैं। गाँधी मात्र विचार नहीं जीवन की एक पद्धति है जिसमे अपने से ज्यादा दूसरों का कल्याण छिपा है।
यह विषय इस बार भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर ने नाथूराम गोडसे पर दिए बयान से उठा। अपने बयान पर उन्होंने माफी मांग ली है। उन्होंने कहा कि “अगर बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो मैं उसके लिए माफी मांगती हूं।“
प्रज्ञा ने कहा कि गांधीजी ने जो देश के लिए किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनके बयान पर चुनाव आयोग ने भी शुक्रवार तक रिपोर्ट मांगी है। प्रज्ञा से मक्कल निधि मैयम के अध्यक्ष और दक्षिण के सुपर स्टार कमल हासन के बयान पर सवाल पूछा गया था।
कमल हासन ने नाथूराम गोडसे को पहला हिंदू आतंकवादी कहा था। हालांकि, भाजपा ने प्रज्ञा के बयान से दूरी बनाते हुए कहा कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए।
आजकल राजनीतिक दल चाहे वो कोई भी हों बापू के नाम का इस्तेमाल करते हैं। कोई भी बापू की तरह रहना तो दूर, उन्हें समझना तक नहीं चाहता। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे लोगों के मुंह से गाँधी का नाम अच्छा नहीं लगता।
गाँधी जी ने जिन आदर्शों के लिए अपना जीवन दिया उनमे सबसे ऊपर “सत्य” ‘”अहिंसा” और “क्षमा” हैं। २०१९ के चुनाव में इस तरफ या उस तरफ के लोगों में कौन कितना “सत्य” बोल रहा है सबको पता है।
बापू का कथन है “हिंसक विचार भी हिंसा है।” दुर्भाग्य तो देश बापू और हम सबका है जो शुचिता के बारे में सोचते हैं, अहिंसा का आचरण करने की कोशिश करते हैं और क्षमा करने में यकीन रखते हैं। वर्तमान राजनीति के कर्णधारों का इन सब बातों में यकीन नहीं है।
बंगाल में हुई हिंसा और देश में यहाँ-वहां हिंसा की चिंगारी बिखेर रहे लोगों को आत्मावलोकन की जरूरत है। देश का माहौल 23 मई को इतना गर्म करने की कोशिश हो रही है, जिसमें आपसी सरोकार स्वाहा हो सकता। बचिए !और बापू को याद कीजिये, जिनका विश्वास क्षमा वीरस्य भूषणम में था।
बापू के पक्ष या विरोध में खड़े राजनीतिक धड़ों से कुछ सवाल हैं। जैसे बापू पर बात करने से पहले यह बताये आपने अंतिम बार सच कब बोला था ? आपने अंतिम बार किसी को उसके हिस्से का लाभ कब दिया था ? आपने कब अपने साथ खड़े व्यक्ति को अपने समान समझा था ? आपने रिश्वत अंतिम बार कब ली या दी थी ?
अगर सच बोलेंगे तो खुद से नफरत होने लगेगी। खादी पहनना इन दिनों फैशन है बापू की प्रेरणा नहीं। उनकी खादी स्वालंबन से जुडी थी, फैशन की खादी उससे कोसों दूर है। गाँधी को लेकर ट्विट करने वालों के परिजनों को भी अपनों से पूछना चाहिए उनकी आय में स्वालंबन की कितनी हिस्सेदारी है।
ऐसे लोगों के मुंह से गाँधी के नाम का उच्चारण अपशब्द हो जाता है। बापू देश के लिए नही दुनिया के लिए आदर्श हैं। कुछ गलती सबसे होती हैं, पर क्षमा सबसे बड़ी बात है। बार-बार क्षमा मांगना भी अपराध है, आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हो।
यदि ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो मौन रहें उपवास करें आत्मावलोकन करें। वैसे 23 मई के नतीजे, कुछ लोगों को आत्मवलोकन को मजबूर कर देंगे। हे! राम, इतनी कृपा करना, 23 मई से उपवास पर न बैठना पड़े।
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