नितिन मोहन शर्मा।
गृह मंत्री जी! कुत्ते के कान कटने पर आपकी संवेदनशीलता सामने आई। बहुत सुकून मिला कि प्रदेश का गृह मंत्री निरीह श्वान के लिए उद्वेलित और दुःखी है। लगे हाथ सजा भी मुक़र्रर की।
जिस प्रदेश का गृह मंत्री एक कुत्ते के कान कटने पर दुःखी हो जाये, उस प्रदेश के आम आदमी का अपनी सुरक्षा को लेकर जबरदस्त रूप से आशान्वित की कुत्ते के कान पर जब गृह मंत्री संज्ञान ले सकते हैं तो इंसान के मामले में तो जान भी ले-दे सकते हैं।
मगर अफ़सोस मंत्री महोदय...यहां मामला इंसानों के गले कटने का है और इंतजार है आपकी संवेदनशीलता का।
आपके तीखे तेवरों का भी इंतजार है और आपकी दो टूक कार्यशैली का भी जो हर ज्वलंत मुददे पर सामने आती है।
मामला चाइना के नाम से हिंदुस्तान में बन ओर बिक रही उस नायलॉन की डोर का है जिसे पतंग का मांजा बोलकर बेचा ओर खरीदा जा रहा है। हर बरस ये मांजा मौत की डोर साबित हो रहा है।
बीते बरस मौत की इस डोर ने उज्जैन की एक होनहार युवती की जान ले ली थी, इस डोर से घायल होने वालो की प्रदेशभर में तादाद तो सेकड़ो हजारों के थी।
तब उज्जैन में इस जानलेवा मांजा बेचने वाले का दुकान मकान बुलडोजर से तोड़ दिया गया।
उज्जैन जिला प्रशासन बीते साल की घटना से सजग था लिहाजा कलेक्टर आशीष सिंह ने समय रहते धारा 188 के तहत इस जानलेवा मांजे की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी और हिदायत भी दी कि अगर कोई दुकान पर ये मांजा मिला यो दुकान के साथ मकान भी तोड़ दिया जाएगा।
ऐसी ही सख्ती की उम्मीद समूचे प्रदेश में थी खासकर इंदौर में, क्योकि इस शहर से ही ये जानलेवा मांजा अंचल के अन्य हिस्सों में जाता है।
लेकिन एक दो छुटपुट करवाई के इंदौर में कुछ नही हुआ वह भी तब, जब ख़ुलासा फर्स्ट ने इस जनहित के मूददे पर खरी खरी कही।
इस दौरान 8 दिन पहले ही बुराहनपुर में एक नोजवान की जान मांजे से जाते जाते बची। गले मे 12 टांके आये और अभी भी अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है।
ताजा मामला आपके बगल गुजरात से आज ही सामने आया है जहां चाइना के मांजे से हाकी के राष्ट्रीय खिलाड़ी की मौत हो गई। मामला वडोदरा गुजरात का है।
राहुल बाथम राष्ट्रीय खिलाड़ी थे और एक अखबार में काम करते थे, कल प्रेस आ रहे थे। अचानक चाइना का नायलोन मांजा गले आकर उलझा।
गला ऐसे कट गया जैसे कटर से कटा हो। धल धल खून बहने लगा। अस्पताल तक पहुँचते दम तोड़ दिया। उफ़्फ़।
गृह मंत्री जी। इंदौर के आसमान पर सिर्फ और सिर्फ चाइना का ये जानलेवा मांजा ही है। पर अफ़सोस यहां न धारा 188 के आदेश है न कोई चेतावनी अब तक जारी हुई।
अभी सब प्रवासी भारतीय सम्मेलन ओर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में लगे है, भगवान न करे इस बड़े आयोजन के दौरान इस मांजे से कोई अनहोनी न हो जाये..!!
बावजूद इसके इस मूददे पर बेफिक्री बताती है कि जिम्मेदारों को शायद किसी मौत का इंतजार है..!! उसके बाद आदेश और हिदायतें दफ्तर से बाहर आये
मंत्री जी आपकी पुलिस को सब पता है कि ये मांजा कहां से आता है? कहां रखा जाता है? कहां से बिकता है? कौन बेचने वाले हैं? सब पता है आपकी पुलिस को।
विश्वास नहीं हो तो रानीपुरा झंडा चोक वाली पुलिस चौकी पर तैनात अमले से पूछिए।
खातीपुरा उतार वाली पुलिस चौकी से पूछिए। पूछिये उस थानेदार से जिसके अंडर में सिख मोहल्ला, काछी मोहल्ला, मेवाती मोहल्ला और उसके आसपास की गली मोहल्ले आते हैं।
सियांगज, रानीपुरा, महारानी रोड, हरसिध्दि इलाके जिनकी बीट में आते है, उनसे ही पूछ लीजिये या फिर आप थाना मल्हारगंज के अमले से पड़ताल कीजिये कि ये माल कहा बिक रहा है।
इन सबको पता है कि मौत की डोर कहा है और कौन बेच रहा है। एक बार जरा इन सबसे वाकई आप पूछकर तो देखना।*
गृहमंत्री जी। आपसे उम्मीद है। किसी का गला कटे या गाल या नाक, होठ।
समय रहते इस मौत की डोर पर सख्ती से प्रतिबंध करें। उज्जैन की तर्ज पर आदेश जारी करें जिसमे प्लास्टिक से बना मांजा बेचने पर घर मकान जमीदोंज हो।
खरीदने वालों को भी कानून के दायरे में लाये। जो इस जानलेवा मांजे से पतंग उड़ाता पाया जाए, उस पर भी सख्त कार्रवाई हो।
इस मांजे को बेचने वाले की दुकान टूटे तो इस मांजे से पतंग उड़ाने वाले की मकर सक्रांति हवालात में गुजरे...!!
कुछ ऐसा बंदोबस्त कीजिये मंत्रीजी।
पुलिस को दुकान की चेकिंग के साथ छतों पर पहुचने का अधिकार भी दीजिये। ताकि जानलेवा मांजे से पतंगबाजी करने वाले नकली पतंगबाजों को भी सबक मिले।
आपसे उम्मीद है।
_आप तो सिनेमाई दुनिया पर भी संवेदनशील है। ये मामला तो फिर भी हकीकत जिंदगी का है।_
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