धीरज चतुर्वेदी।
सवाल तो कई है और जायज भी है। इन सवालों से यह कहकर नहीं बचा जा सकता कि हर सवाल का जवाब देना उचित नहीं है। जवाब देना इसलिए जरुरी है कि धीरेन्द्र शास्त्री का ओहदा अब आम नहीं खास है।
आम लोग अपने कष्टों का निवारण करने के लिये धाम में पहुंच रहे है। अपने भाई की करतूतों से भी पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता क्योंकि अगर धीरेन्द्र शास्त्री जी के सामने आम से लेकर सत्ता और प्रशासन के खास मत्था ना टेकते होते तो भाई को भी रसूख और दौलत का नशा नहीं चढ़ा होता। जो दलित बेटी की शादी में मवालियो की तरह आतंक ना फैलता और दलित बस्ती के हेंडपम्प में मोटर डालकर पूरी बस्ती के पानी के स्रोत को बंद करने की हिमाकत ना करता.... एक पत्रकार के सवाल है,,क्या जवाब मिलेगा
*कुछ बातें - कुछ सवाल:धीरेंद्र जी से*
बागेश्वर धाम के स्वयंभू पीठाधीश्वर और विवाद एक दूसरे के पर्यायवाची बन चुके है। चाहे बातचीत में उपयोग किए जाने वाले शब्द हो, भरे कोरोना काल में कथा वाचन हो, बुल्डोजर बाला बयान हो, संत गाडगे पर बयान या वर्तमान में सर्वाधिक विवादित मामला उनके सगे छोटे भाई सालिग्राम का दलित की बेटी की शादी समारोह मैं आतंक मचाकर पिस्टल चलाना हो।
सभी से ये तो सिद्ध है की धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हमेशा विवादों के रास्ते अपनी प्रसिद्धि की मंजिल खोज रहे है।
प्रसिद्धि की मंजिल एवम विवादों के रास्ते में उन्होंने अपने बचाव के लिए सनातन धर्म की रक्षा, हिंदुत्व एवम हिंदुराष्ट्र का कवच अपनी सुरक्षा हेतु ले रखा है।
हालिया उनका बयान की उनके भाई सालिग्राम द्वारा किए गए कृत्य से उन्हें ना जोड़ा जाए बड़ा हास्यास्पद प्रतीत होता है क्योंकि जब आप अर्जी पर पर्ची निकालते है तो व्यक्ति की समस्या हेतु अन्य को दोषी भी ठहराते है फिर आप इस प्रकरण से आपने आप को पृथक कैसे कर सकते है।
आप व्यक्तियों को जब बह सब जगह से हार जाए तो उसे हारे का सहारा बनकर उसकी सहायता का आश्वासन देते है। आप धर्म की रक्षा हेतु लोगों को बुल्डोजर खरीदने की सलाह देते है।
फिर आपके सगे भाई द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य पर आप एक छोटा सा बयान देकर अपने आप को इस पूरे मामले से पृथक कर लेते है। ये समझ में नहीं आता।
क्या आप सामंत शाही की परिभाषा नही जानते? आपके भाई ने जो किया बह उसी सामंत शाही का एक घिनौना चेहरा है। आप के भाई जैसों के कारण ही सरकार को दलितों हेतु कठोर कानूनों का निर्माण करना पड़ा है। और समाज आज भी जातिप्रथा जैसी कुरीतियों मैं फंसा हुआ है।
आप की परिकल्पना का अगर हिंदू राष्ट्र अगर ये है तो माफ कीजिए ये तानाशाही एवम गुंडा राज होगा।
धीरेंद्र जी आप में व्यक्तियों के मन की बात एवम उनके भूतकाल की बात समझने की जो भी कला है क्या उस के द्वारा आप अपने सगे भाई को नही समझ सके। उसका भविष्य आप नही जान सके, बह क्या आतंक मचाने बाला है नही जान सके, उसके द्वारा आपके नाम का क्या होगा नही जान सके तो अन्य परिवारों एवम व्यक्तियों के बारे मैं आप क्यों बतलाते है?
धीरेंद्र जी कुछ अन्य बातें जो आपसे मीडिया पूछना चाहता है।
क्योंकि आपकी प्रेस वार्ता में आप सिंहासन पर बैठते है एवम मीडिया फर्श पर अतः आपसे सवाल इसी माध्यम से पूछना उचित समझा।
- आपके द्वारा बागेश्वर बालाजी की वीडियोग्राफी एवम फोटोग्राफी क्यों करने नही दी जाती। जबकि विशेष वीआईपी व्यक्तियों को ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। क्यों? वहां क्या चल रहा है, सार्वजनिक होने मैं क्या परेशानी है?
- आपके स्वयं के मीडिया पर बागेश्वर बालाजी की फोटो प्रतिदिन डाली जाती है दूसरों को मना किया जाता है ऐसा भेदभाव क्यों?
- बागेश्वर धाम में लोग श्रृद्धा के कारण बीमारों को लेकर आते है, जिनमे कई की मौत भी हो चुकी है, व्यक्ति के जीवन से बढ़कर कुछ नही, जिनके परिवार में कोई चला गया, उनका दुख बही व्यक्ति समझ सकता है, तो उनका जिम्मेदार कोन?
- संत के परिवार को टैक्सी ठेका, क्यों?
- मंगलवार एवम शनिवार को ट्रेन में यात्रा करना साधारण आदमी के लिए बागेश्वर भक्तों के कारण जोखिम एवम कष्टों भरा होता है, आरक्षित श्रेणी पर भी आपके भक्तों का अनाधिकृत कब्जा होता है, क्या यही धर्म है?
- धीरेंद्र कृष्ण जी अभी आपके बारे मैं बहुत शंका है, कही आपको बागेश्वर सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लिखा जाता है, कहिए पीठाधीश्वर, कहीं संत, आखिर आप वहां क्या है?
आपको इन सवालों के सीधे सीधे उत्तर देना होगा।
हां साथ ही सालिग्राम जी कब तक गिरफ्तार होंगे, कहां है, अनके पास पिस्टल कहां से आई, कारतूस कहां से आए इन सवालों का जवाब आपको ही नही छतरपुर की पुलिस को भी शीघ्र प्रदाय करने होंगे।
संपादक, दैनिक जनहित दर्शन
वरिष्ठ पत्रकार धीरज चतुर्वेदी की वॉल से
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