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मान लीजिए मिडिल और लोवर क्लास के हितों को अब कोई नकार नहीं सकता

खरी-खरी            Feb 02, 2023


 कौशल सिखौला।

एक बात सुन लीजिए और मान भी लीजिए भारत की मीडियम क्लास और लोअर मीडियम क्लास के हितों को अब कोई भी नकार नहीं सकता।

सरकार कोई भी रहे , मध्यम वर्ग से आई युवा पीढ़ी के हितों और सपनों को कोई नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति भारत में है, युवाओं की बात जो नहीं करेगा डूब जाएगा।

गरीबी हटाओ की बात हमारे देश में सत्तर के दशक में शुरू हुई थी, वास्तव में गरीबी हटाने का काम अब कुछ वर्ष पहले शुरू हुआ है।

गरीबी कैसे हटेगी, युवा शक्ति तो बहुत है परंतु उसके पास स्किल नहीं है, तकनीकी नहीं है , कुशलता नहीं है।

जब तक हमारे युवा ट्रेंड नहीं होंगे, किसी काम में माहिर नहीं होंगे तब तक रोजगार कैसे मिलेगा ? नहीं मिलेगा तो गरीबी कैसे हटेगी?

कुछ वर्षों से स्टार्ट अप तो आ रहे हैं परंतु कईं क्षेत्रों में कोई नई शुरुआत नहीं हुई है।

क्या कृषि क्षेत्र और पर्यावरण के क्षेत्र में नए स्टार्ट अप पैदा नहीं हो सकते ? करने पड़ेंगे , तभी हमारे युवा बारोजगार होंगे और तभी सही अर्थों में गरीबी मिटेगी ।

भारत बहुत बड़ा देश है,  हमारी आबादी बढ़ते बढ़ते चीन के पास पहुंच गई है।

चीन ने एक बच्चा पॉलिसी लाकर चमत्कारिक रूप से आबादी पर नियंत्रण पा लिया ।

हम " दो या तीन बच्चे होते हैं घर में अच्छे " और " हम दो हमारे दो " के गाने गा गाकर भी 140 करोड़ पर पहुंच गए।

जनसंख्या नियंत्रण कानून लाओ तो धार्मिक बवाल खड़ा हो जाता है ?

समान नागरिक संहिता लाओ तो लोग छाती पीटने लगते हैं,  भारत में हर हाथ को रोजगार देना है तो आबादी घटाइए।

इस विषय पर न तो धर्मबाजी चलेगी और न ही राजनीति।

भारत में रोजगार के साधन बराबर बढ़ रहे हैं,  बढ़ती आबादी की स्पीड जब तक कम नहीं होगी , हर हाथ को काम कदापि नहीं मिल पाएगा ।

भारत की तुलना हम अमेरिका , ब्रिटेन या यूरोप के छोटी आबादी वाले देशों से नहीं कर सकते।

तुलना तो सिर्फ चीन से कर सकते हैं चीन से हम केवल दो करोड़ पीछे हैं, कुछ ही दिनों में बराबर होंगे और फिर आगे।

गांठ बांध लीजिए कि आबादी घटानी है,  यह जिम्मा मीडियम क्लास पर कम और लोअर मीडियम क्लास पर ज्यादा है,  सच कहें तो हम सब भारतवासियों पर ज्यादा है।

आबादी घटाइए, जब सबके अधिकार बराबर हैं तो सबके कर्तव्य बराबर क्यों नहीं हो सकते?

अफसोस की बात है कि धर्मों में बंटते जा रहे समाज को जातियों में बांटने के बाद अब छोटे-छोटे समूहों में बांटने के षड्यंत्र राजनीति शुरू कर रही है।

देश के भविष्य, प्रगति और अखंडता के लिए देश एक , संविधान एक , ध्वज एक होना जरूरी है तो सभी के लिए समान कानून बनाना जरूरी क्यों नहीं ?

 

 



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