वीरेंदर भाटिया।
गुजरा में कांग्रेस के हार जाने के बाद कोई यह दिलासा देकर बेशक अपना मन बहला ले कि राहुल ने ये जीता वह जीता। राहुल ने कुछ नहीं जीता है और जीत के भ्रम और कोरी चाटुकारिता से अपने राहुल बाबा को बाहर निकालिये।
22 साल के राज में घोर एंटी इनकम्बेंसी थी। आप कैश नहीं करवा पाए। नोटबन्दी जीएसटी की सरेआम चोट पड़ी अर्थव्यवस्था पर, आप कैश नहीं करवा पाए। खुद पटेल बंट गए। आप कैश नही करवा पाए। मुसलमान सोचते देखते रहे कि कांग्रेस हमें साथ ले। आप हाथ नहीं दे पाये।
जिग्नेश भवानी मवानी और पता नही कौन—कौन से तुरुप के इक्के आपकी जेब मे थे। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को आप मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर रहे थे। कांग्रेस का पुराना गढ़ था और आपको एक अकेला मोदी उलझाता चला गया।
मोदी खुद राख का ढेर था जिसे ढहाने के लिए थोड़ी सी विपरीत हवा की दिशा का सहारा लेना था लेकिन रेत के बुत से डर गए और डरते गए।
कभी मंदिर जा रहे हो कभी जनेऊ दिखा रहे हो। उन्होंने हर नीच शब्द और कृत्य को भुनाया आप उनसे डरे रहे। वह हर झूठ पर दहाड़ते रहे आपसे उनके झूठ तक खोले नही गए।
मीडिया में आपका पक्ष रखने वाला कोई चेहरा नहीं है। एक पिद्दी सा बड़बोला संबित पात्रा आपको बोलने नहीं देता।
अब ये मत सोचिये कि जीतेंगे कैसे आप ये सोचिये की बचेंगे कैसे आप
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