राघवेंद्र सिंह।
मध्य प्रदेश समेत देश के कुछ राज्यों से जुलूसों पर पथराव और उसके बाद तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं सबको चिंतित कर रही हैं।
प्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के साथ जो हिंसा हुई वह इतनी बेकाबू थी कि प्रशासन को कर्फ्यू लगाना और पड़ोसी जिलों से पुलिस बल बुलाना पड़ा। खरगोन एसपी और टीआई समेत दर्जनों लोग घायल हो गए।
भाजपा शासित प्रदेश की शिवराज सरकार में लंबे समय बाद यह पहला अवसर है।
यह हालत तब है जब हिंसा दंगा और अपराध करने वाले तत्वों के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नेस्तनाबूद करने का बीड़ा उठाया है।
भोपाल में पिछले दिनों बांग्लादेशी आतंकी संगठन और कथित अल कायदा से जुड़े करीब आधा दर्जन संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भी चिंता में डाल दिया।
उसकी वजह है कि विदेशी आतंकी मध्यप्रदेश में एक बार फिर स्लीपर सेल बनाकर आतंकी योजनाओं का ताना-बाना बुनना चाहते थे।
इसके अलावा अन्य प्रदेशों में पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों के तार सुबह के रतलाम जिले के कथित आतंकी समर्थकों से जुड़ने के सबूत मिले हैं।
इसके बाद दस अप्रैल राम नवमी को खरगोन जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में धार्मिक जुलूस पर पथराव और हिंसा का बेकाबू होना बताता है देश व्यापी साजिशें छोटी मोटी नहीं है। इसकी आंच सब जगह महसूस की जा रही है।
हिंसा की जो घटनाएं छोटी—मोटी दिख या लग रही हैं वे कल को किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की तरफ संकेत करती है।
जो घटनाएं हो रही हैं वह सांप्रदायिकता की तरफ साफ इशारा करती है इसलिए शहरों में जिम्मेदार हिंदू मुसलमान के सामाजिक और धार्मिक नेताओं को बुलाकर प्रशासन और सरकार से जुड़े लोग बातचीत करें अंतरराष्ट्रीय साजिश पर चर्चा करें और आपस में मिलकर रहने की योजना पर काम करें। इसमें निश्चित ही कामयाबी मिलेगी।
ऐसा नहीं है यह साजिशें पहली बार हो रही है, पहले भी कई दफा ऐसी नौबत आई लेकिन सरकार और संप्रदायों की मिली जुली कोशिशों ने सब कुछ सामान्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। साजिशकर्ता और उनकी मदद करने वालों पर सख्ती की दरकार है।
देश के हिंदू मुसलमान आपस में भाईचारे से रहना चाहते हैं। उसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि आखिर हम हिन्दुस्तानियों के पुरखे तो एक ही हैं। इसलिए कई दफा विवाद उन भाइयों की तरह होते हैं जो आपस में लड़ने के बाद फिर एक हो जाते हैं।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के चलते सभी को खास तौर से पुलिस के साथ खुफिया तंत्र को बेहद सावधान रहने की जरूरत है।
दिल्ली हिंसा के बाद राजस्थान के करौली में हुई निशा को भी जिस ढंग से हल्का करके बताने की कोशिश की जा रही है। यह सब आगे जाकर आग से खेलने जैसी घटनाएं साबित हो सकती है।
धीरे—धीरे पथराव इंसान और आगजनी की घटनाओं का विस्तार बताता है षड्यंत्र छोटे-मोटे नहीं हैं।
पहले कभी कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं होती थीं अब इसका विस्तार देश में किया जा रहा है इसलिए भविष्य को लेकर हर हिंदुस्तानी को सतर्क और सरकारों को सख्त रहने की जरूरत है।
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