अलका जिलोया।
सवर्ण महिलाओं से लेकर पढ़ी लिखी जॉब करने वाली सवर्ण लड़कियों ने मुझसे कहा है कि तुम्हें देखकर लगता नहीं कि "तुम एससी समुदाय से हो।" मैं पलटकर जब उनसे पूछती हूँ कि "कैसे नहीं लगती हूं? तब वो कहती है "बस ऐसे ही तुम उनके जैसी बिल्कुल नहीं दिखती हो।"
उनके अनुसार मेरा रंग गौरा है, मैं अच्छे कपड़े पहनती हूं, अच्छी जगह पढ़ाई करती हूं, ऐसे तो कोई सवर्ण लड़की ही रह सकती है। यानि जिसकी जात बड़ी हो।
एक बार एक आंटी ने कहा "तुम मेघवालों के तो नहीं लगती, देखकर तो बामण-बणियों की सी लगती हो।"
मोहल्ले में भी बचपन में कई बार लोगों से सुना कि 'तुम भाई-बहन (मैं और मेरा सबसे बड़ा भाई) को देखकर लगता नहीं कि तुम मेघवालों के हो, एकदम अलग दिखते हो।'(मैं यहां उनका नाम नहीं लेना चाहती)
पापा के दो बड़े भाई थे। भैया, छोटे ताऊजी और बड़े ताऊजी का बेटा तीनों हमउम्र थे। मुझे याद है तीनों जींस शर्ट पहनने टशन में रहते थे। तब भी लोग कहते थे कि ये तो अलग ही दिखते हैं।
सुंदरता, रंग, अच्छा खान-पान,रहन-सहन सभी पर क्या किसी विशेष वर्ग का एकाधिकार है?
पिछले साल मई में मूंछे रखने के कारण #सुरेश को बेरहमी से पीटा गया, राजस्थान में पाली जिले के रहने वाले #जितेंद्रपाल की मूंछे रखने के कारण बेरहमी से हत्या कर दी गई।
कुछ समय पहले बाड़मेर में एक वीडियों वायरल हुआ था जिसमें सवर्ण जाति के लड़के एक दलित लड़के को इसलिए बेरहमी से पीट रहे थे क्योंकि उसने मोचड़िया (जूतीयां) पहन रखी थी।
ऐसी सैंकड़ो घटनाएं आए दिन होती रहती है। लेकिन ये घटनाएं मीडिया की सुर्खिंया नहीं बनती। कोई फाइल्स नहीं बनती। किसी फिल्म निर्माता की मूवी बनाने की हिम्मत नहीं होती।
फिर आप कहेंगे हर बात को जाति से मत जोड़िए। आप उसे आपसी रंजिश का नाम देकर मुद्दे से पल्ला झाड़ लेंगे। पीड़ितो के लिए आपके मुंह से सहानुभूति का एक शब्द नहीं निकलेगा लेकिन सफाई में आप कुतर्क पर उतर आयेंगे।
यहां मार-पीट, बलात्कार, हत्याएं सब जाति देखकर होती है। हाथरस कांड ,राजस्थान की भंवरी देवी , फुलन देवी याद है? दलितों को घोड़ी से उतारना, मारपीट करना क्या जाति देखकर नहीं होता?
यह देश जातिप्रधान देश है, फिर आप जाति के सवाल को कैसे टाल सकते हैं??
हम स्टाइल में रहेंगे। लड़के मूंछो पर ताव देते रहेंगे। आपके पेट में मरोड़ उठते हैं तो उसका इलाज करवाइये।
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