मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित अवधि के बाद भी जाति प्रमाण-पत्र की शिकायत उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति द्वारा नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी।
हाईकोर्ट जस्टिस एके सिंह की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति के अध्यक्ष को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने के निर्देश जारी किए हैं।
रायसेन निवासी राजेश भारके की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि ग्राम पंचायत के सरपंच के फर्जी जाति प्रमाण-पत्र की शिकायत उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति को की थी।
समिति द्वारा शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि शिकायत का निराकरण तीन माह की निर्धारित समय सीमा में किया जाना था।
हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने समिति को निर्देशित किया था।
अवमानना याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट के आदेश बाद भी समिति ने निर्धारित समय सीमा में शिकायत का निराकरण नहीं किया। हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता स्मरण-पत्र भी भेजा था।
इसके बावजूद भी समिति द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जिसके कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गयी है।
अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला, विनीत टहनगुनिया ,संजीव पचौरी ने पैरवी की।
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