मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की पहले चरण की वोटिंग से पहले सीएम मोहन यादव लगातार जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं. इसी दौरान वे विपक्ष के साथ ही प्रशासनिक अमले को भी आड़े हाथों लेते दिखाई दे रहे हैं.
बीते दिनों राजगढ़ लोकसभा सीट क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने पटवारियों की मनमानी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि किसान के काम के समय पटवारी कलेक्टर तक के बाप बन जाते हैं.
दरअसल रविवार 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री मोहन यादव राजगढ़ पहुंचे और बीजेपी के विधानसभा स्तरीय सम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान मंच से कार्यकर्ताओं संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव कहा, आपके इधर अब तो खेती बहुत अच्छी हो गई. सब तरफ डैम (बांध) बन रहे हैं. खेती के अंदर माहौल बन गया है.
मुख्यमंत्री मोहन बोले किसी कारण से जमीन का खरीदना बेचना हो, या परिवार में नामांतरण करना हो, तो नामांतरण करने के लिए पटवारी साहब के दे चक्कर, दे चक्कर... पटवारी समझता नहीं था, वो कलेक्टर का बाप बना जाता था. वह किसी के हाथ में नहीं आता था. ऐसी व्यवस्था की ऐसी की तैसी. हमने संशोधन कर दिया. भैया अब ये नहीं चलेगा. अब जैसे ही आप रजिस्ट्री करवाएंगे, वैसे ही ऑनलाइन आपकी रजिस्ट्री हो जाएगी. पटवारी का रोल ही खत्म करने का काम कर किया.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राजगढ़ जिले के सारंगपुर में लोकसभा प्रत्याशी रोडमल नागर के पक्ष में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. कार्यक्रम के दौरान सीएम ने सारंगपुर के 40 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाई.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा हमने गेहूं के मामले में निर्णय किया है, तुम देखते रहो हम 2700 क्या, 3000 तक गेहूं खरीदेंगे. हमारे भाई बहन यदि अपनी जमीन बेचते या खरीदते हैं तो नामांतरण करने के लिए पटवारी से हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं है. आप रजिस्ट्री कराओगे, अपने आप नामांतरण की प्रक्रिया चालू होगी. ये हमारी सरकार निर्णय किया है.
ट्रक ड्राइवर के हड़ताल में एक अधिकारी ने ड्राइवर से कहा था तेरी औकात क्या है.? सिंगरौली में एक अधिकारी, आगंनबाड़ी महिला बहन से जूते के फीते बंधवा रहा था...हमने कहा हमारी सरकार में ऐसे नहीं चलेगा, हमारी सरकार गरीबों के अपमान करने के लिए नहीं बनी. हमने तुरंत कार्रवाई की.
हमारी सरकार संवेदनशील सरकार है. हम किसी का अपमान नहीं करना चाहते, लेकिन अगर कोई हमारे लोगों (गरीबों, महिलाओं) का अपमान करेगा तो उसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. कांग्रेस की सरकार में किसान के पास मंडी के अलावा बेचने के लिए कोई रास्ता नहीं था. जब भाजपा की सरकार आई तब गांव-गांव में कांटे खुले.
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