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वनतारा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया एसआईटी गठित करने का निर्देश

खास खबर            Aug 26, 2025


 मल्हार मीडिया डेस्क।

गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित  'वनतारा' प्रकरण में हो रहे पर्यावरण, वन्यजीव और वित्तीय नियमों के उल्लंघनों को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया है.

इस एसआईटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर करेंगे. यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित कई याचिकाओं और शिकायतों के जवाब में लिया गया है, जिनमें 'वनतारा' परियोजना से जुड़े विभिन्न कानूनी और नैतिक मुद्दों को उठाया गया था.

एसआईटी  टीम में जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान (उत्तराखंड और तेलंगाना हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश), मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले (आईपीएस) और सीमा शुल्क विभाग के अतिरिक्त आयुक्त आरआरएस अनीश गुप्ता को सदस्य के रूप में नामित किया गया है. एसआईटी अब 'वनतारा' से जुड़े सभी पहलुओं की गहन और निष्पक्ष जांच करेगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी तरह के पर्यावरणीय या वित्तीय नियमों का उल्लंघन न हो और जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराया जा सके.

वहीं सुप्रीम कोर्ट की ओर से SIT गठन के बाद 'वनतारा' ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अत्यंत सम्मानपूर्वक स्वागत करते हैं. 'वनतारा' पारदर्शिता, करुणा और कानून के पूर्ण अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा मिशन और ध्यान पशुओं के बचाव, पुनर्वास और देखभाल पर केंद्रित रहेगा. हम विशेष जांच दल को जांच के दौरान पूरा सहयोग प्रदान करेंगे और अपने सभी प्रयासों के केंद्र में पशुओं के कल्याण को रखते हुए, ईमानदारी से अपना काम जारी रखेंगे. हम अनुरोध करते हैं कि इस प्रक्रिया को बिना किसी अटकलबाजी के और हमारे द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले पशुओं के सर्वोत्तम हित में होने दिया जाए.'

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित 'वनतारा' (ग्रीन्स ज़ूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) के मामलों की जांच के लिए SIT के गठन का आदेश दिया. SIT को अन्य बातों के साथ-साथ, भारत और विदेशों से विशेष रूप से हाथियों के अधिग्रहण में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और अन्य प्रासंगिक कानूनों के पालन की जांच करनी होगी. जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने यह आदेश अधिवक्ता सीआर जया सुकिन द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया, जिसमें केंद्र के कामकाज के खिलाफ व्यापक आरोप लगाए गए थे.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि याचिका में केवल आरोप लगाए गए हैं बिना किसी सहायक सामग्री के, और सामान्य रूप से ऐसी याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने कहा, 'फिर भी, यह आरोप कि वैधानिक प्राधिकरण या कोर्ट अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में अनिच्छुक या असमर्थ हैं, विशेष रूप से तथ्यात्मक स्थिति की सत्यता के सत्यापन के अभाव में हम न्याय के हित में एक स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन उचित मानते हैं, जो आरोपित उल्लंघनों को स्थापित कर सके, यदि कोई हों. इसके अनुसार हम एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का निर्देश देना उचित समझते हैं, जिसमें बेदाग सत्यनिष्ठा और उच्च प्रतिष्ठा वाले सम्मानित व्यक्ति हों, जिनका लंबा सार्वजनिक सेवा का रिकॉर्ड हो.'

एसआईटी  का कार्यक्षेत्र

एसआईटी निम्नलिखित पर जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सौंपेगी

 1- भारत और विदेशों से जानवरों, विशेष रूप से हाथियों, के अधिग्रहण;

2- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों का पालन;

3- लुप्तप्राय प्रजातियों के वनस्पति और जीवों के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (CITES) और आयात/निर्यात कानूनों और जीवित जानवरों के आयात/निर्यात से संबंधित अन्य वैधानिक आवश्यकताओं का पालन.

 4-पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल, पशु कल्याण मानकों, मृत्यु दर और उनके कारणों का पालन.

5- जलवायु परिस्थितियों और औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थान से संबंधित शिकायतें.

6- निजी संग्रह, प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रमों और जैव विविधता संसाधनों के उपयोग से संबंधित शिकायतें.

7- जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतें.

8- याचिकाओं में उल्लिखित लेखों/कहानियों/शिकायतों में और सामान्य रूप से कानून के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन, जानवरों या पशु वस्तुओं के व्यापार, वन्यजीव तस्करी आदि से संबंधित शिकायतें.

9- वित्तीय अनुपालन, मनी लॉन्ड्रिंग आदि से संबंधित शिकायतें.

10- याचिकाओं में उठाए गए आरोपों से संबंधित किसी अन्य विषय, मुद्दे या मामले की शिकायतें.  SIT को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, CITES प्रबंधन प्राधिकरण.

11- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, और गुजरात राज्य, जिसमें इसके वन और पुलिस विभाग शामिल हैं, द्वारा पूर्ण सहायता प्रदान की जाएगी.

क्या है वनतारा प्रोजेक्ट?

‘वनतारा’ अनंत अंबानी की एक अनूठी और व्यापक पहल है, जो घायल और संकटग्रस्त जानवरों के बचाव, उपचार, देखभाल और पुनर्वास पर केंद्रित है. यह पहल न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पशु कल्याण के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय कदम मानी जा रही है. वनतारा भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जहां जानवरों के लिए समर्पित रूप से सभी जरूरी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं. यह सेंटर गुजरात के जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में स्थित है और लगभग 3,000 एकड़ में फैला हुआ है. यहां जानवरों को न केवल चिकित्सा देखभाल मिलती है, बल्कि उनके प्राकृतिक आवास जैसे माहौल में पुनर्वास की व्यवस्था भी की जाती है. वनतारा का उद्देश्य केवल जीवों को बचाना ही नहीं, बल्कि उनके प्रति करुणा, सह-अस्तित्व और जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा देना है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश याचिकाओं को स्वीकार करने के रूप में या वैधानिक प्राधिकरणों या ''वनतारा'' के कामकाज पर कोई संदेह व्यक्त करने के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उसने आरोपों के गुण-दोष पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया है और SIT जांच केवल एक तथ्य-खोज अभ्यास है.SIT को 12 सितंबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया.

 


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