मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 4 दिवसीय 17वीं अखिल भारतीय जन विज्ञान कांग्रेस का आज उद्घाटन किया गया।
सत्र के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि पिछले 10 सालों में असमानता की खाई ज्यादा गहरी हुई है। आजादी के 75वें साल में कार्पोरेट पावर, अतार्किकता एवं गैर बराबरी के खिलाफ हमें लड़ाई लड़नी होगी।
यह दुखद है कि आजादी के अमृत महोत्सव में आजादी के मूल्यों और संवैधानिक मूल्यों की बात नहीं की जा रही है।
देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिए बिना समानता, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों की समस्याओं का हल नहीं किया जा सकता।
कार्पोरेट मीडिया के माध्यम से जनता की आवाज को सामने नहीं लाया जा सकता।
कार्यक्रम का उद्घाटन मंच से भारत के संविधान की प्रस्तावना के उद्घोष और प्रतिभागियों द्वारा झंडे को लहराते हुए किया गया। ये रंगीन झंडे भारत की विविधता और बहुलता को दर्षा रहे थे।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि केरला की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने कहा कि समानता, सबको अवसर, आजीविका के बिना सही मायने में लोकतंत्र नहीं है।
आज पूंजीवादी एवं सामंतवादी व्यवस्था का समय है। वास्तविक आजादी के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। संविधान बनाते समय हमने प्रगतिषील विचारों को अपनाया और अखंडता, समता, समानता एवं समाजवाद की बात की। इन्हें आज हम बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण के हासिल नहीं कर सकते। केरला ने कोविड के समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ उसका सामना किया। शैलेजा ने कोविड के समय के अनुभवों को भी साझा किया।
इंस्टिट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेस, चेन्नई की प्रो. डी. इंदुमति ने कहा कि उच्च षिक्षा में दषमलव 6 फीसदी बजट खर्च हो रहा है, जिसकी वजह से विज्ञान में शोध के अवसर कम हुए हैं।
आज इस बात की जरूरत है कि नए शोध संस्थान खोले जाएं और उनके लिए ज्यादा फंड दिए जाएं। वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने अपनी एक कविता सुनाते हुए वर्तमान राजनीतिक और वैज्ञानिक चुनौतियों पर टिप्पणी की।
स्वागत उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार रामप्रकाष त्रिपाठी ने कहा कि मौजूदा समय में जन विज्ञान आंदोलन की ज्यादा जरूरत है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना बताते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क के अध्यक्ष डॉ. सब्यसाची चटर्जी ने कहा कि मेघनाथ साहा, रबिन्द्रनाथ टैगोर, जवाहरलाल नेहरु और सुभाष चंद्र बोस जैसे हमारे देष के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक, साहित्यकारों एवं राजनेताओं ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात की है, जिन्होंने भारत की विविधता और बहुलता में एकता को महत्व दिया है। आज इसे नकारने का प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। जन विज्ञान कांग्रेस में देश के लगभग 20 राज्यों से अधिक वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सेदारी कर रहे हैं। इस दौरान “भारत का विचार : वैज्ञानिक स्वभाव, आत्मनिर्भरता और विकास“ विषय सेमिनार, गोष्ठी, कार्यशाला और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए रहे हैं।
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