मल्हार मीडिया भोपाल।
यदि कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सामंतवादी सोच के हैं तो भाजपा की संस्थापक उनकी दादी स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधियाजी और शिवराज सरकार में काबीना मंत्री सुश्री यशोधराराजे सिंधियाजी को लेकर भाजपा का अभिमत क्या है? भाजपा यदि दलितों के प्रति वास्तविक हमदर्दी रखती है तो उसे राष्ट्र को यह बात आवश्यक तौर पर बताना चाहिए कि पिछले 92 वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गठन के बाद आज तक सरसंघचालक दलित समुदाय से क्यों नहीं हुए? यह सवाल मध्यप्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश भाजपाध्यक्ष नंद कुमार सिंह से पूछे हैं।
प्रदेश कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में जारी किसान आंदोलन के बाद सरकार विरोधी लहर से अचंभित और भयभीत होकर बौखला गई है। यही कारण है कि वह अपने निरंतर टूटते जा रहे तिलस्म को पुर्नस्थापित करने हेतु मान्य राजनैतिक परंपराओं की परवाह किये बगैर ‘‘राजनैतिक आतंकवाद’’ को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा कि पार्टी का स्पष्ट मानना है कि राजनैतिक प्रतिशोध की भावना से श्री सिंधिया सहित जिस तरह कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री कमलनाथ, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री दिग्विजयसिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अरूण यादव तथा मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह के साथ ही पार्टी के अन्य नेताओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है, वह प्रदेश में गिरते हुए राजनैतिक अवमूल्यन का एक अशोभनीय उदाहरण है, जिसका पार्टी पुरजोर विरोध करते हुए ‘‘जैसे को तैसे’’ की तर्ज पर जवाब देते हुए इस फासीवादी तरीके से निपटने के लिए दृढ़संकल्पित है।
कांग्रेस, श्री सिंधिया के विरूद्व निम्नस्तरीय भाजपाई राजनैतिक हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहना चाहेगी कि इस घिनौने षड्यंत्र के पीछे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री नंदकुमारसिंह चौहान, व्यक्तिगत् कुंठाओं से ग्रसित सांसद प्रभात झा व मंत्री जयभानसिंह पवैया द्वारा रचित साजिश है।
मिश्रा ने पार्टी की तरफ से सवाल करते हुये पूछा कि भाजपा सिर्फ इतना भर बता दे कि, जब अशोकनगर के ट्रामा सेंटर के उद्घाटन हेतु 22 जुलाई, 17 का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था, तब उसके पूर्व भाजपा विधायक श्री गोपीलाल जाटव ने इसके एक दिन पूर्व जिला प्रशासन द्वारा मना किये जाने के बाद भी विधि विरूद्व तरीके से जबरदस्ती उद्घाटन क्यों, किसलिए और किसके कहने पर किया?
भाजपा द्वारा कांग्रेस को सामंती सोच की प्रवर्तक बताये जाने पर कांग्रेस ने भाजपा पर बड़ा राजनैतिक हमला बताते हुये सवाल किये कि
यह जहरीली विचारधारा यह भूल बैठी है कि इसी विचारधारा ने संविधान निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर को ‘‘बाडगे’’ (अपवित्र) कहकर अपमानित किया था?
क्या यह सच नहीं है कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दलितों की तुलना मंदबुद्धि के बच्चों से की थी?
क्या यह वहीं भाजपा है, जिसने बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो सुश्री मायावती जी की उत्तरप्रदेश के देवरिया में सभा समाप्त होने के पश्चात प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सभा के लिए सभास्थल को पानी से धुलवाकर पवित्र बनाने का कलुषित प्रयास किया था?
क्या यह वही भाजपा है, जिसके 5000 करोड़ रूपयों के महाभूमि घोटाले को लेकर हटाये गये कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री येदियुरप्पा, जो आज पार्टी के वरिष्ठतम नेता हैं, ने हाल ही में दलितों के घर खाना खाने के नाम पर होटल से खाना बुलवाकर कथित दलित प्रेम दर्शाया था?
क्या यह वहीं भाजपा है, जिसने गत् वर्ष संपन्न ‘‘सिंहस्थ महापर्व’’ के दौरान आयोजित दलित कुंभ में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह को चांदी के बर्तनों में भोजन करवाकर दलित प्रेम का स्वांग और उनका अपमान किया था?
क्या यह वही भाजपा है, जिसने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दलितों से मिलवाने से पहले अधिकारियों के माध्यम से दलितों को साबुन व शैम्पू वितरण कर उन्हें नहलवाने के बाद मिलवाया था?
क्या यह वही भाजपा है, जिसने संसद के चालू वर्षाकालीन सत्र में बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावतीजी को उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में दलितों के उत्पीड़न से संबंधित विषय पर बोलने से रोक दिया, जिससे अपमानित और दुःखी होकर उन्हें हाल ही में राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा?
क्या यह वही भाजपा शासित राज्य सरकार है, जिसने कुछ दिनों पूर्व अजा-अजजा छात्र/ छात्राओं को शासकीय कोष से वितरित किये गये बैग के पीछे अजा-अजजा योजना लिखकर उन्हें वर्गभेद में धकेला था?
दलितों के प्रति कथित तौर पर प्रेम और संवेदना दिखाने वाली भाजपा का दलित प्रेम व संवेदना उस वक्त कहां काफूर हो गया था, जब प्रदेश में 12 लाख कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की विगत् 13 वर्षों में हुई असमायिक मौत में अधिकांश बच्चे दलित परिवारों के थे?
क्या यह वही भाजपा शासित राज्य सरकार है, जिसने दलित होने के कारण वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्री रमेश थेटे व शशि कर्णावत को प्रताडि़त करने का कार्य किया तथा उनके साथ भेदभाव करते हुए उनकी वाजिब पदोन्नति से वंचित रखा?
बावजूद इसके यदि कांग्रेस की सोच सामंतवादी होती तो श्रीमती इंदिरा गांधी ने ही आजाद भारत में एक बड़ा फैसला लेते हुए सामंतवाद के खिलाफ प्रिवीपर्स की समाप्ति का एक बड़ा ऐतिहासिक निर्णय नहीं लेती?
कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि कथित रूप से दलितों के हितैषी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्री नंदकुमारसिंह चौहान इन यक्ष प्रश्नों का सार्वजनिक रूप से उत्तर देंगे? कांग्रेस ने भाजपा को घेरते हुए यह भी प्रतिप्रश्न किया है कि
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के निर्देश पर पार्टी भाजपा को ‘‘जैसे को तैसे’’ की तर्ज पर जवाब देगी। इसी परिप्रेक्ष में कल 25 जुलाई,17 को दोपहर 1.00 बजे पूरे प्रदेश में एक साथ सभी संभागों, जिलों व ब्लाकों में मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के पुतले जलाये जायेगें और भाजपा की दलित विरोधी नीतियों को उजागर किया जाएगा।
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