मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विकास और पर्यावरण का संतुलन आवश्यक है। विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश उचित नहीं।
आज सभी जगह नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा। यदि हमने चिंतन नहीं किया तो ग्लोबलवार्मिंग की स्थितियाँ बनेंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गैस त्रासदी से प्रभावित नागरिकों के प्रति सदैव सहयोगी रहेगी।
श्री चौहान आज भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसी पर बरकतउल्ला भवन सेंट्रल लाइब्रेरी भोपाल में श्रद्धांजलि एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा को संबोधित कर रहे थे
भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसी पर सेंट्रल लाइब्रेरी में आयोजित 'श्रद्धांजलि एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा' कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रद्धांजली अर्पित की।
भोपाल गैस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
आज सभी धर्म गुरुओं ने प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्म मानव कल्याण की कामना के साथ प्रेरित करते हैं कि हम दूसरों की पीड़ा दूर करने के लिए कार्य करें।
भोपाल गैस त्रासदी से हमें एक सबक जरूर मिला कि प्रकृति से खिलवाड़ मत करो।
प्रकृति से उतना ही लें, जितना आवश्यक है। दोहन के बजाय प्रकृति का शोषण हमारे ही विनाश का कारण बन सकता है।
भोपाल गैस त्रासदी सबक है कि हम अपनी जरूरतों के अनुसार ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें। प्रगति आवश्यक है, लेकिन पर्यावरण और प्रकृति की कीमत पर बिल्कुल नहीं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें भौतिकता और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन बनाना होगा।
यह संतुलन बिगड़ा तो औद्योगिक त्रासदी कैसे रोकी जा सकेंगी। पर्यावरण का संरक्षण जीव जगत के कल्याण के लिए आवश्यक है। यह हम सभी का दायित्व है।
भोपाल गैस त्रासदी का रूह कंपा देने वाला मंजर मुझे आज भी याद है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था, लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे।
गैस कांड का यह संदेश है कि प्रकृति से उतना ही लो जितना भरपाई कर सको। यह धरती सबके लिए है, सब को जीने का हक है, सबके लिए भी कुछ छोड़ दो।
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