मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि लंबित दया याचिकाओं का निराकरण फास्ट ट्रेक में किया जाना चाहिए।
कारावास की अवधि 14 वर्ष की पूर्णता पर राहत प्रावधानों का गतिशीलता और संवेदनशीलता के साथ क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।
उन्होंने प्रथम नागरिक के रूप में अधिकारियों से अपेक्षा करते हुए कहा कि व्यवस्था का स्वरूप ऐसा होना चाहिए जिसमें राहत के लिए सुपात्र व्यक्ति को एक दिन भी अतिरिक्त कारावास में नहीं रहना पड़े।
राज्यपाल लंबित दया याचिकाओं के संबंध में गृह, विधि-विधायी कार्य एवं जेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राजभवन में चर्चा कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि राहत याचिका के सुपात्र को रिहाई की निश्चित तिथि आदि की व्यवस्थाओं के दृष्टिगत लंबित नहीं रखा जाना चाहिए।
कार्य का भाव और भावना शीघ्रता से राहत प्रदान करना होना चाहिए। दया याचिका के पात्र को राहत प्रावधानों का लाभ लेने के लिए आवश्यक विधिक सहायता उपलब्ध कराने की पहल की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज के विरूद्ध छोटे-मोटे अपराधों पर पुनर्विचार का कार्य समय-सीमा में किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शासकीय नौकरी सेवा का कार्य है। अधिनियम में प्रभावी कार्रवाई के लिए दिल और दिमाग में पीड़ित के प्रति संवेदना और सहानुभूति होना जरूरी है।
संवेदनशीलता के साथ किए गए कार्यों के परिणाम सदैव अच्छे होते हैं।
बैठक में राजभवन जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दीपक खांडेकर, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा, प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी कार्य बी.के. द्विवेदी, महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएँ अरविंद कुमार, अपर महानिदेशक पुलिस राजेश गुप्ता, संचालक लोक अभियोजन अन्वेष मंगलम और गृह सचिव श्री गौरव राजपूत, जनजातीय प्रकोष्ठ के सदस्य सचिव बी.एस. जामोद, सदस्य एवं अधिकारी मौजूद थे।
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