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नीति का नहीं मिला लाभ, संविदाकर्मी परिवार सहित धरने पर

मध्यप्रदेश            Jan 02, 2025


मल्हार मीडिया भोपाल।

संविदा नीति का लाभ नहीं मिलने से नाराज कुक्कुट विकास निगम के कर्मचारी नया साल शुरू होते ही धरने पर बैठ गए हैं। खास बात यह है कि इस विरोध प्रदर्शन में कर्मचारी पूरे परिवार समेत जिसमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं।

संविदा नीति का लाभ नहीं मिलने से नाराज कुक्कुट विकास निगम के कर्मचारी नया साल शुरू होते ही धरने पर बैठ गए हैं। खास बात यह है कि इस विरोध प्रदर्शन में कर्मचारी पूरे परिवार समेत जिसमें छोटे बच्चे भी शामिल है।

संविदा कर्मचारी वेतन वृद्धि आदेश जारी करवाने की मांग को लेकर मुख्यालय के सामने परिवार सहित लगातार दूसरे दिन धरने पर बैठे रहे।

दअरसल 19 जुलाई 2024 को प्रमुख सचिव गुलशन बावरा की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि संविदा कर्मचारियों को 22 जुलाई 2023 को जारी संविदा नीति का लाभ दिया जाएगा, लेकिन 6 महीने बीत जाने के बावजूद वेतन वृद्धि आदेश आज तक जारी नहीं किए गए हैं। इससे नाराज होकर संविदा कर्मचारी नए साल से धरने पर बैठ गए हैं। खास बात यह है कि यह संविदा कर्मचारी अपने छोटे बच्चों और पत्तियों के साथ धरने पर बैठे हैं।

जबकि राजधानी में इस समय कड़ाके की ठंड भी पड़ रही है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं पूरी होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

प्रदर्शन कर रहे प्रणय सक्सेना ने बताया कि वेतन वृद्धि आदेश न होने के कारण संविदा कर्मचारियों को 10,000 से 15,000 रुपए के वेतन में गुजारा करना पड़ रहा है।

वेतन वृद्धि आदेश की फाइल पिछले डेढ़ महीने से मंत्रालय (वल्लभ भवन) में अटकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बोर्ड की बैठक में प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में निर्णय लिया जा चुका था, तो फाइल को मंत्रालय भेजने की जरूरत ही नहीं थी।

धरना स्थल पर संविदा कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से तुरंत समाधान की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि उनकी वर्षों की मेहनत और सेवा को नजरअंदाज किया जा रहा है, और अब इस उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी हो गया है। 

संविदा कर्मियों ने इस आंदोलन को अपने अधिकारों की लड़ाई करार देते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक यह धरना जारी रहेगा। धरने में बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी, उनके परिवार और अन्य समर्थन करने वाले लोग शामिल हो रहे हैं। ठंड के बावजूद उनकी हिम्मत और संघर्ष भावना देखते ही बनती है।

 

 

 

 



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