मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के डीजीपी द्वारा सांसद विधायकों को पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा सैल्यूट करने के आदेश को लेकर सियासत शुरू हो गई है।
मप्र कांग्रेस जीतू पटवारी ने डीजीपी को पत्र लिखकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की हैं। उन्होंने कहा कि अगर गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद जनप्रतिनिधियों को सलामी देगी, तो पुलिस की साख और निष्पक्षता प्रभावित होगी। पुलिस की साख और निष्पक्षता प्रभावित होगी।
पटवारी ने सांसदों और विधायकों को सलामी देने वाले फैसले पर सवाल उठाया हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि जिन जनप्रतिनिधियों पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं, उन्हें पुलिस द्वारा सलामी देना पुलिस की कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस का प्राथमिक दायित्व कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, अपराधियों की जांच करना और उनकी जवाबदेही तय करना है, न कि उन्हें सलामी देना। ऐसे आदेश से पुलिसकर्मियों पर अनावश्यक दबाव बनेगा और निष्पक्ष कार्रवाई प्रभावित हो सकती है।
पटवारी ने कहा कि इस आदेश से पुलिसकर्मियों का मनोबल गिर सकता है और जनता में कानून के प्रति विश्वास भी कमजोर हो सकता है। उन्होंने आग्रह किया कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए और भविष्य में भी ऐसे निर्णयों से बचा जाए, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हूं ने अनुरोध किया कि प्रदेश में कानून के प्रति विश्वास बनाए रखने के लिए इस आदेश को वापस लेने और उचित कार्यवाही करने की दिशा में त्वरित कदम उठाए जाएं।
पटवारी के पत्र के बाद बीजेपी नेता नरेंद्र सलूजा ने तंज कसते हुए द्वीट किया है कि जीतू का उमंग सिंघार पर निशाना। पुलिस मुख्यालय के जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने के आदेश पर कांग्रेस में जमकर अंतर्कलह। जीतू पटवारी के इस आदेश के विरोध करने के बाद, कल इंदौर में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे प्रोटोकॉल बताते हुए इस आदेश का समर्थन कर, पटवारी जी को आईना दिखाया था। इसके बाद आज पटवारी जी ने जवाबी हमला करते हुए पत्र ही जारी कर दिया कि आपराधिक मामलों वाले जनप्रतिनिधि को सलामी नहीं दी जाए।
सलूजा ने यह भी लिखा है कि अब सभी को पता है कि आपराधिक मामलों के माध्यम से उनका निशाना सिंघार जी पर ही है। सही कहते हैं पटवारी जी कांग्रेस में गुटबाजी कैंसर है।मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार द्वारा पुलिस अधिकारियों को सांसदों और विधायकों को अनिवार्य रूप से सलामी देने संबंधी आदेश को "लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान" करार दिया है।
मप्र के डीजीपी कैलाश मकवाना ने एक दिन पहले एक आदेश जारी किया है, जिसमें पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को सांसदों और विधायकों को सैल्यूट करने के लिए कहा गया है।
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