नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार व मशहूर साहित्यकार वीरेन डंगवाल
मीडिया, वीथिका
Sep 28, 2015
मल्हार मीडिया ब्यूरो
का सोमवार को निधन हो गया। उन्होने सुबह 4 बजे अंतिम सांस ली। वह 68 साल के थे और मुंह के कैंसर से ग्रसित थे। कैंसर की बीमारी के लिए उनका काफी लंबे समय से इलाज चल रहा था। डॉ. डंगवाल ने अपने पीछे पत्नी डॉ. रीता डंगवाल, बेटे प्रफुल्ल और प्रशांत छोड़ गए हैं।
कैंसर की चपेट में आने के बाद भी वह कई साल से लेखन में सक्रिय थे। कुछ समय पहले वह दिल्ली से बरेली आए थे और तबियत बिगड़ने के बाद उनको यहां के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वीरेन डंगवाल उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल स्थित कीर्तिनगर में 5 अगस्त 1947 जन्मे थे। उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वीरेन 1971 से बरेली कॉलेज में हिंदी के शिक्षक रहे।
बतौर पत्रकार भी उन्होंने एक अलग पहचान बनाई। अमर उजाला कानपुर और बरेली के संपादक के रूप में वीरेन ने लंबे समय तक काम किया और वह कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी कर चुके थे। 22 साल की उम्र में उन्होंने पहली रचना लिखी और फिर देश की तमाम स्तरीय साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में लगातार छपते रहे। हिंदी साहित्य की सेवा को देखते हुए 2004 में उनको साहित्य अकादमी सम्मान भी दिया गया था।
बेहद मिलनसार और मददगार स्वभाव के वीरेन डंगवाल, युवा पीढ़ी के सबसे चहेते रचनाकारों में से एक है। ‘दुश्चक्र में श्रृष्टा’ सहित वीरेन ने कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने पाब्लो नेरूदा, बर्तोल्ट ब्रेख्त, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊश रोजेविच और नाजिम हिकमत जैसे रचनाकारों के अपनी खास शैली में कुछ दुर्लभ अनुवाद भी किए हैं। उनकी खुद की कविताओं का बांग्ला, मराठी, पंजाबी, अंग्रेजी, मलयालम और उड़िया में अनुवाद हुआ है।
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