पत्रकार भूपेंद्र चौबे द्वारा सनी लियोने का इंटरव्यू...खाली जगह ख़ुद भर लें।

मीडिया, वामा            Jan 26, 2016


vasutullah-khanवुसअतुल्लाह ख़ान पत्रकार भूपेंद्र चौबे द्वारा पिछले दिनों सनी लियोनी का लिया गया इंटरव्यू काफी चर्चा में है। ब्लागर वसातुल्लाह खान ने इस इंटरव्यू पर अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस अंदाज में दी। किसी भी मीडियाई पत्रकार को ज़मीन चाटते देखना, मेरी आख़िरी इच्छा हो सकती है, पहली तो बिलकुल भी नहीं। मगर भूपेंद्र चौबे के साथ सनी लियोनी ने जो किया, ख़ुदा किसी दुश्मन के साथ भी न करे। ये इंटरव्यू हर मीडिया इंस्टीट्यूट के कोर्स में शामिल होना चाहिए, ताकि हर छात्र जान जाए कि प्रोफेशनल आत्महत्या कैसे की जाती है। ज्ञान और व्यवहार अगर बुद्धि तक पहुंचने के बजाए सिर्फ चमड़ी के ऊपर ही रह जाए तो ऐसा ज्ञान अज्ञान बन जाता है। suny-bhupendra-choubey दक्षिण एशिया का मर्द अभी दक्षिण एशिया की औरत से बहुत पीछे है। शायद सौ वर्ष बाद वह यह समझ सके कि पिछले सौ वर्ष में महिलाएं 'ब्रान' से 'ब्रेन' और मर्द 'ब्रेन' से 'ब्रान' हो चुका है। नैतिकता का झंडा औरतें मर्द से छीनती ही चली जा रही है। मगर शरीर की ताक़त फिर भी ख़ुद को दिमाग की ताक़त के धोखे में रखे हुए है। जब ख़ुद पर वश नहीं चले तो औरत को सब बुराईयों की जड़ बताकर अपनी जान छुड़ाना कितना आसान है। अभिनेत्री मीरा और वीना मलिक ने पाकिस्तानियों की पुण्यशीलता बर्बाद करके रख दी, जैसे उनसे पहले तो मस्जिदें भरी होती थीं। अकेली सनी लियोनी ने पूरे भारत को पोर्नोग्राफ़ी देखने वाला सबसे बड़ा देश बना डाला जैसे सनी से पहले 90 प्रतिशत युवा महाभारत देखने के लिए मरे जाते थे। ढाका से मुंबई और इस्लामाबाद से काबुल तक पुरुष अपनी पत्नियों के भक्त थे और दूसरों की मांओं और बेटियों को बहन समान देखते थे। मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ा कि जिन लोगों को सनी लियोनी का एक—एक अंग ज़बानी याद है, वो अपने घर की औरतों का बिना पर्दे बाहर जाना भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। प्राचीन येरुशलम में लोगों ने एक लंबे समय तक पूजा पाठ, इबादत और प्रार्थना के जोखिम से बचने के लिए ये रास्ता ढूंढ निकाला कि हर कोई अपने अपने पापों की एक-एक धज्जी बकरी के सिंगों से बांध देता। फिर बकरी को ये सोचकर शहर से निकाल दिया जाता है कि हमारे पाप तो बकरी ले गई, अब हम फिर से पवित्र हो गए। मगर हम लोग येरुशलम वासियों से ज़्यादा चालाक निकले और अपनी कमज़ोरियों, अश्लील सोचों और राष्ट्रभक्त आंखों की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर डालना सीख गए। प्राचीन येरुशलम की बकरी उपमहाद्वीप तक आते—आते औरत बन गई। आज भी हम अपने पापों की गठरी उसके सिर पर रख कर परंपरा और नियम के तकिए पर बिंदास खर्राटे लेते हैं। और फिर भूपेंद्र चौबे जैसों को शब्दों के पत्थर मारकर समझते हैं कि हम तो ऐसे नहीं थे, ना हैं और ना होंगे। एक सनी लियोनी कराची से लेकर दिल्ली तक पूरे समाज को..... (खाली जगह ख़ुद भर लें।) साभार बीबीसी


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